अलीगढ़ के 33 वर्षीय सतीश को मैक्स हॉस्पिटल वैशाली में मिला नया जीवन, लीवर की बीमारी का हुआ सफल इलाज

अलीगढ़ के 33 वर्षीय सतीश को मैक्स हॉस्पिटल वैशाली में मिला नया जीवन, लीवर की बीमारी का हुआ सफल इलाज

 

अलीगढ़। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली (गाजियाबाद) में 33 वर्षीय सतीश कुमार का सफलतापूर्वक इलाज किया गया। अलीगढ़ के रहने वाले सतीश के लीवर में अमीबिक फोड़ा था, जिसका इलाज अल्ट्रासाउंड गाइडेड (पिगटेल) कैथेटर से किया गया।

सतीश कुमार को लगातार दस दिन तक बुखार आया था जिसकी वजह से उन्हें डॉक्टर को दिखाया गया. मरीज को अच्छे तरह से जांच की गई और अल्ट्रासाउंड से मूल्यांकन करने पर दाहिने लोब मापने (10x8.8x7.12 सेमी) में 330 मिलीलीटर के बराबर लीवर में एक फोड़ा मिला। मरीज ने कई जगह इलाज कराया लेकिन परंपरागत तरीकों से होने वाले इलाज से उन्हें कोई लाभ नहीं मिला ।
एडवांस इलाज पाने के लिए सतीश कुमार ने मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, वैशाली का रुख किया।

मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, वैशाली में जीआई और एचपीबी ऑन्कोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉक्टर सुरेश सिंगला इस केस के रिजल्ट पर संतोष जाहिर किया. उन्होंने लीवर फोड़े के मामलों में समय पर डायग्नोज और तुरंत इलाज की बात पर जोर दिया।
 उन्होंने कहा, "सतीश कुमार का सफल इलाज लीवर फोड़े से जुड़े मामलों के अल्ट्रासाउंड-गाइडेड पिगटेल कैथेटर प्लेसमेंट की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
 समय पर इलाज महत्वपूर्ण है, और मरीज के लिए अच्छे रिजल्ट आना इस ट्रीटमेंट मेथड के प्रभाव को बताता है।
अलीगढ़ के सतीश जब मैक्स अस्पताल वैशाली पहुंचे तो उनके पूरे पेट के अल्ट्रासाउंड और अल्ट्रासोनोग्राफी (यूएसजी) समेत अन्य विस्तृत जांच की गई ।

जांच में बड़े लीवर फोड़े की पुष्टि हुई। बीमारी की गंभीरता को देखते हुए, यूएसजी गाइडेड परक्यूटीनियस ड्रेन को लगातार पानी निकालने के लिए लीवर में लगाया गया।

डॉक्टर सिंगला ने आगे कहा, "सतीश कुमार के इलाज में किसी तरह की अड़चन नहीं आई जो उनकी रिकवरी में काफी कारगर रही।
प्रक्रिया के बाद, उन्हें तुरंत वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया, जहां उन्होंने सुचारू रूप से रिकवरी की. मरीज के ठीक होने की प्रक्रिया में उन्हें ओरल डाइट और सॉफ्ट डाइट के साथ वार्ड में चेस्ट फिजियोथेरेपी, इंसेंटिव स्पिरोमेट्री दी गई"।

फिलहाल सतीश कुमार पूरी तरह से सजग, सतर्क, एम्बुलेटरी, दर्द मुक्त और मुंह के जरिए ठीक से खाने में सक्षम हैं।

 उन्होंने मल त्याग करना फिर से शुरू कर दिया है और स्थिर कंडीशन में उन्हें छुट्टी दी जा रही है। मेडिकल टीम ने उन्हें ओपीडी में आने और फॉलो-अप की सलाह दी है ताकि उनकी निरंतर निगरानी की जा सके और धीरे धीरे वो अपनी रेगुलर चीजों की तरफ लौट सकें।

इस केस की सफलता न केवल मैक्स अस्पताल वैशाली की मेडिकल टीम की विशेषज्ञता और समर्पण को दर्शाती है, बल्कि लोगों को एडवांस और बेहतर इलाज देने की अस्पताल की प्रतिबद्धता का भी ये प्रमाण है।

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