उज्जैन -रतलाम के उपपंजीयक व क्षेमा के अधिकारी-कर्मचारियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज

उज्जैन -रतलाम के उपपंजीयक व क्षेमा के अधिकारी-कर्मचारियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज

उज्जैन। उज्जैन लोकायुक्त ने जांच के बाद मंगलवार को उज्जैन एवं रतलाम जिलों के उपपंजीयक एवं क्षेमा पॉवर लिमिटेड के अधिकारी- कर्मचारियों के विरूद्ध भ्र.नि.अधि. के अंतर्गत एफ.आई.आर. दर्ज की है जानकारी के अनुसार, छोटू शास्त्री निवासी धार द्वारा उज्जैन लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक अनिल विश्वकर्मा को शिकायत प्रस्तुत की गई थी कि रतलाम, उज्जैन एवं धार जिले में पवन उर्जा का कार्य कर रही क्षेमापॉवर लि. कंपनी एवं उसकी सहायक कंपनियों ने शासकीय अधिकारी/कर्मचारियों के साथ मिलकर एक प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी की चोरी कर शासन को करोड़ो रुपये का नुकसान पहुंचाया है।

जांच के दौरान जिला पंजीयन कार्यालय उज्जैन एवं रतलाम, तहसीलदार रतलाम एवं बड़नगर तथा अक्षय उर्जा विभाग से विभिन्न जानकारियां प्राप्त की गई। जांच पर से पाया गया कि बड़नगर तहसील के ग्राम उबराडिया, ग्राम भिड़ावद, ग्राम रूनीजा, ग्राम आमला, ग्राम जलोद संजर एवं ग्राम गजनीखेड़ी में क्षेमा पॉवर कंपनी द्वारा पवन चक्की लगाने हेतु किसानों से भूमि कय की गई एवं पवन चक्की लगाकर एसबीईएसएस कंपनी को भूमि विक्रय की गई। एसबीईएसएस कंपनी को विक्रय के दौरान क्षेमा पॉवर लि. द्वारा उपपंजीयकों से मिलकर खाली खेत के फोटो लगाकर रजिस्ट्री कराई गई है तथा इस प्रकार पवन चक्की की लागत का एक प्रतिशत स्टाम्प शुल्क का भुगतान नहीं किया गया है तथा स्टाम्प शुल्क की चोरी की गई है। प्रति पवन चक्की अनुमानित लागत 15.52 करोड़ रुपये आई है तथा इसका एक प्रतिशत अर्थात 15.52 लाख रुपये प्रति पवन चक्की स्टाम्प शुल्क की चोरी जांच पर से सिद्ध पाई गई है। इस प्रकार उपरोक्त ग्रामों में प्रत्येक लोकेशन पर 15.52 लाख रुपये स्टाम्प शुल्क कम चुकाया गया है जो शासन को आर्थिक क्षति पहुंची है। इस पर प्रकरण दर्ज किया गया है।

इधर पंजीयन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी के अनुसार समक्ष प्रस्तुत हुए दस्तावेज में दी गई लिखत के आधार पर स्टांप शुल्क एवं पंजीयन शुल्क वसूला जाता है यदि पक्षकार ने लिखत में कोई तथ्य छिपाया है तो यह जांच का विषय है जिसकी प्रक्रिया स्टांप अधिनियम में दी गई है।हमारे द्वारा लिखत में वर्णित तथ्यों के आधार पर ही विधि अनुसार स्टांप ड्यूटी वसूली गई है,शासन को कोई राजस्व हानि कारित नही हुई है।किसी भी अन्वेषण एजेंसी के द्वारा fir दर्ज करने के पूर्व विभागाध्यक्ष से पूर्व अनुमति लिए जाने संबंधी निर्देश शासन द्वारा पूर्व में ही दिए जा चुके हैं,जिसका पालन करना शेष है।

 

 

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