साफ हवा का हक सिर्फ दिल्ली में रहने वालों का नहीं- SC ने NGT को लगाई फटकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और उसके आस पास हेवी-ड्यूटी डीजल ट्रेलर ट्रकों के कारण होने वाले प्रदूषण से संबंधित एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि स्वच्छ हवा का अधिकार सिर्फ दिल्ली में रहने वालों का नहीं है। इस पर अन्य लोगों का भी हक है। दरअसल, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने सुझाव दिया है कि दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित एक अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी) की ओर जाने वाले ट्रकों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के बाहर की आईसीडी (ICD) की ओर मोड़ दिया जाए। इस पर शीर्ष अदालत ने एनजीटी को फटकार लगाई है।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मित्थल की पीठ ने कहा कि ट्रकों को अन्य आईसीडी की ओर मोड़ने का एनजीटी का सुझाव अनुचित है। एनजीटी ने सुझाव दिया था कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए वाहनों को दादरी, रेवाड़ी, बल्लभगढ़, खाटुआवास या दिल्ली के आसपास किसी अन्य आईसीडी में डायवर्ट किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह निर्देश ऐसा था मानो सिर्फ दिल्ली एनसीआर (NCR) में रहने वाले लोग ही प्रदूषण मुक्त वातावरण के हकदार हैं, देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोग नहीं। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में यह गारंटी दी गई है कि मौलिक अधिकार सभी के लिए समान रूप से लागू करने योग्य है और यह दिल्ली एनसीआर (NCR) के लोगों तक ही सीमित नहीं है।
क्या है मामला..
केंद्रीय भंडारण निगम के एक पूर्व अधिकारी ने तुगलकाबाद स्थित आईसीडी (ICD) में आने वाले ट्रकों के कारण होने वाले प्रदूषण के खिलाफ शिकायत उठाते हुए एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने प्रार्थना की थी कि डिपो में प्रवेश करने वाले वाहनों को दिल्ली-एनसीआर (NCR) के आसपास के क्षेत्रों में मोड़ दिया जाए और दिल्ली नहीं जाने वाले गैर-इलेक्ट्रिक ट्रकों/ट्रेलरों/ट्रेनों को डिपो का उपयोग करने से प्रतिबंधित किया जाए। एनजीटी ने ऐसे वाहनों को दादरी, रेवाड़ी और बल्लभगढ़ या खटुआवास (राजस्थान) की ओर मोड़ने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने का आह्वान किया था। एनजीटी के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी।
SC ने अप्रैल 2019 में जारी किया था नोटिस
शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2019 में इस मामले में नोटिस जारी किया था और डिपो संचालकों और वाहन मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया था। पीठ ने बृहस्पतिवार को दिए अपने फैसले में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को आवश्यक अनुपालन के लिए एक पक्षकार बनाया। इसके अलावा कोर्ट ने अथॉरिटी से कम प्रदूषण फैलाने वाले भारी-भरकम वाहनों (सीएनजी/हाइब्रिड/इलेक्ट्रिक) की खोज जारी रखने का आग्रह किया और निर्देश दिया कि एनसीआर (NCR) में कंटेनर डिपो में वाहनों की पार्किंग के संबंध में कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी की सिफारिशों को 6 महीने में लागू किया जाए।
भारी डीजल वाहनों को हटाने पर 6 महीने में नीति तैयार करे केंद्र
सुप्रीम कोर्ट ने इपका की रिपोर्ट और सिफारिशों पर ध्यान देते हुए कुछ निर्देश पारित किए। पीठ ने कहा है कि सिफारिशों की जांच करने के बाद भारत सरकार भारी डीजल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने और उनके स्थान पर बीएसवीआई (bsvi) वाहनों को लाने की नीति बनाएगी। सरकार 6 महीने के भीतर इस संबंध में उचित नीति तैयार करेगी। इस मामले में अब 31 जुलाई को सुनवाई होगी।
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