होली पब्लिक स्कूल में कवियों की काव्य गोष्ठी संपन्न

कदम कदम पर तुम्हें मिलेगी सुन्दर शीतल छाँव, सखा तुम आओ हमारे गांव---नबाव

मैनपुरी- साहित्यकारों के सम्मान एवं स्मरण की श्रृंखला में काव्य गोष्ठी नगर के होली पब्लिक स्कूल में आयोजित हुई। जिसमें साहित्यकार श्रीकृष्ण मिश्र एडवोकेट ने फरवरी माह में जन्मे गीतकार प्रदीप जी के जीवन पर चर्चा की। साहित्यकार मिश्र ने बताया कि आपका जन्म 6 फरवरी, 1915 को हुआ था, मृत्यु 11 दिसम्बर, 1998 में हुई थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि राजेन्द्र तिवारी ने की। काव्यपाठ शुरू होने से पूर्व उपस्थित कवियों को शाल, प्रतीक चिन्ह एवं माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में जयपुर के "संगीत डॉ० शिवदर्शन दुबे द्वारा शास्त्रीय संगीत गायन एवं भजन प्रस्तुत किये गये।मुख्य अतिथि हास्य कवि अमित चितवन ग्वालियर एवं विशिष्ट अतिथि डॉ० हरिश्चन्द्र शाक्य थे। गोष्ठी में कवियों की काव्य श्रृंखला में सर्वप्रथम डॉ० अनिलमान मिश्र ने कहा- तुकबंदी कविता न होगी, सृजक में क्षमता न होगी।
 
इसी तरह डॉ० ए०सी० तिवारी दीप ने कहा- जाने क्यों तुम रूठ गये हो. दो पल साथ निभाकर। शिवदत्त दुबे शिव ने कहा- ढूंढ रहा बचपन का वो कल, लाड़-प्यार-फटकार का वो पल। आदर था गुरू मात पिता का, पर नारी गौ धरा का। वासुदेव मिश्र लाल बत्ति ने कहा- साधना सिद्ध प्रदायक है साधना मंगल दायक है। सत्येन्द्र पाठक निडर एटा ने कहा- पथ चलते इस बटोही का सहारा सहचरी तुम, उफनते सागर की लहरों का किनारा सहचरी तुम। पुष्पेन्द्र सिंह पुष्प ने कहा- जाने कितने दर्द छिपे हैं, होठो की मुस्कानों में। सच खोजो तो पता चले, दुख भरे हुए तहखानों में। नवाब सिंह राजपूत ने कहा- कदम कदम पर तुम्हें मिलेगी सुन्दर शीतल छाँव, सखा तुम आओ हमारे गाँव। गणेश चन्द्र ने कहा- माँ तो माँ होती है, बिन मॉ के शान्ति कहाँ होती है। ब्रह्मानन्द श्रीवास ने कहा- पृकृति से न दूर जाइए।
 
ई०एम० अनम ने कहा- खुदा करे कि मेरे वतन की रौनके बहाल हो उजाडते है जो उसे वह हाथ पायमाल हो। काव्यगोष्ठी को उर्मिला पाण्डेय, महिपाल सिंह सरल, बृजेन्द्र सिंह सरल, विद्या राम केसरी, डॉ० मनोज सक्सेना, प्रबोध भदौरिया, डॉ० सतोष दुबे, जय प्रकाश मिश्रा, उपेन्द्र भोला, यश कुमार मिश्रा, रमेश चन्द चक, राज किशोर राज आदि ने भी काव्य पाठ किया। गोष्ठी में प्रमुख रूप से अभय शर्मा, ज्ञानेन्द्र दीक्षित, उमेश दुबे, मौजी राम, डॉ० अनुराग दुबे, शिवराम सिंह चौहान, बृजनन्दन सिंह उर्फ टिल्लू, विवेक दुबे, दर्शन लाल राठौर, ओम प्रकाश वर्मा, डॉ० सुबोध दुबे, डॉ० आशा सक्सेना, आशा माहेश्वरी, डॉ० चिरौजी लाल यादव, डॉ० अनुराग दुबे, राजीव जौहरी, सतोष हजेला, राकेश सक्सेना आदि उपस्थित रहे। अंत में संचालन कर रहे विनोद माहेश्वरी ने सभी कवियो, साहित्य प्रेमियो का धन्यवाद ज्ञापित किया।
 
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