सपा विधायक अभय सिंह के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई
लखनऊ हाईकोर्ट ने सरकारी वकील से रिपोर्ट मांगी
- दो जजों का अलग-अलग था फैसला
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी के विधायक अभय सिंह के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति राजन रॉय की एकल पीठ ने सरकारी वकील को मामले से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण रिपोर्ट अगली सुनवाई में प्रस्तुत करने के आदेश दिए। वहीं अगली सुनवाई 20 फरवरी को निर्धारित की है।
न्यायमूर्ति राजन रॉय की एकल पीठ के समक्ष लगातार दूसरे दिन सुनवाई जारी रही। बुधवार को पीड़ित पक्ष ने अपनी बहस पूरी कर ली थी, लेकिन समय की कमी के कारण अभियुक्त पक्ष की ओर से बहस अधूरी रह गई थी। यह मामला 2010 का है, जब अयोध्या के महाराजगंज थाने में विकास सिंह ने अभय सिंह और उनके साथियों पर जानलेवा हमले का आरोप लगाया था। मामला बाद में अंबेडकर नगर कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया। 2023 में अंबेडकर नगर एमपी/एमएलए कोर्ट ने सुनवाई के बाद अभय सिंह समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इसके बाद विकास सिंह ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
मामला हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में पहुंचा, जहां 20 दिसंबर 2024 को दो अलग-अलग फैसले सामने आए। जस्टिस एआर मसूदी ने अभय सिंह समेत पांच आरोपियों को तीन साल की सजा सुनाई और जुर्माना लगाया। वहीं, जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव ने उन्हें बरी कर दिया। इन विरोधाभासी फैसलों के कारण यह मामला न्यायिक उलझन में पड़ गया और इसे चीफ जस्टिस अरुण भंसाली की बेंच को सौंपा गया। चीफ जस्टिस ने इस विवादित मामले को जस्टिस राजन रॉय की बेंच को ट्रांसफर कर दिया। कल की सुनवाई में अभय सिंह के राजनीतिक भविष्य और कानूनी स्थिति पर अंतिम फैसला आ सकता है।
यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक महत्व भी रखता है। अगर अभय सिंह दोषी करार दिए जाते हैं, तो उनकी विधायकी पर असर पड़ सकता है। वहीं, बरी होने की स्थिति में यह उनके लिए बड़ी जीत साबित होगी। फरवरी, 2024 में हुए राज्यसभा चुनाव में सपा विधायक अभय सिंह अपने सियासी कदमों के चलते चर्चा में रहे। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट डाला था। आरोप भी लगे थे कि बीजेपी ने धनबल और बाहुबल के जरिए सपा के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने सपा से बगावत भी की।
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