त्याग, तपस्या और बलिदान की मूर्ति हैं बाबा साहब - चौधरी अरविन्द

त्याग, तपस्या और बलिदान की मूर्ति हैं बाबा साहब - चौधरी अरविन्द

रायबरेली-संविधान दिवस के रूप में अखिल भारतीय संत गाडगे महासभा अम्बेडकर क्रान्ति के महासभा के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट अरविन्द कुमार चौधरी की अध्यक्षता में मनाया गया। प्रदेश अध्यक्ष अरविन्द चौधरी ने कहा कि हमारे देश में प्रतिवर्ष 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस दिन का प्रमुख उद्देश्य संविधान की विशेषता को और इसके बारे में लोगों को विशेष जानकारी प्रदान करना है। 26 नवम्बर 1949 संविधान सभा द्वारा इसको अंगीकार किया गया, इसके बाद संविधान सभा का सभी सदस्यों ने 24 जनवरी को इस पर हस्ताक्षर किये

और इसे 26 जनवरी 1950 को लागू कर दिया गया।  श्री चौधरी ने कहा कि पूरा संविधान तैयार करने में दो वर्ष ग्यारह माह 18 दिन लगे थे, यह 26 नवम्बर 1949 को पूरा हुआ था। श्री चौधरी ने कहा कि हमारे देश का संविधान कई सिद्धान्तों को समेटे हुए है, जिसके आधार पर देश की सरकार नागरिकों के लिए मौलिक, राजनैतिक सिद्धान्त प्रक्रियायें अधिकार दिशा-निर्देश कानून आदि तय किये गये हैं। 26 नवम्बर 1949 में भारतीय संविधान सभा की और से संविधान को अंगीकार किया गया था।

सभा को सम्बोधित करते हुए समाजसेवी कौशलेन्द्र प्रताप सिंह ने डा0 बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का संविधान भारत देश का सबसे शक्तिशाली संविधान है। युवा नेता अतुलित बाजपेयी ने कहा कि भारत का संविधान देश के नागरिकों में समानता, बराबरी, स्वतन्त्रता बंधुत्व एवं जन कल्याण को समर्पित है।  इस अवसर पर मुख्य रूप से आशीष सिंह, अजय सिंह, पंकज गौतम, हंसराज यादव, रमेश रावत, निखिल अम्बेडकर, आदि लोग अम्बेडकर चौराहे पर भारी संख्या में उपस्थित रहे एवं अपने विचार व्यक्त किये।

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