पाला एवं शीतलहर से फसलों का बचाव करें

झाँसी। जिला कृषि रक्षा अधिकारी के के सिंह ने बताया है कि फसलों में फूल आने एवं बालिया / फलिया आने व उनके विकसित होते समय पाला पडने की सर्वाधिक सम्भावनाएँ रहती है। पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां व फूल झुलसे दिखाई देते है जो बाद में झड़ जाते है। या अघ पके फल सिकुड़ जाते हैं। फलियों एवं बालियों में दाने नहीं बनते या दाने कम भार के पतले हो जाते है। अतः इस समय कृषकों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिए।
उन्होंने बताया है कि साधारणतः पाला गिरने का अनुमान इनके वातावरण से लगाया जा सकता है। सर्दी के दिनों में जिस रोज दोपहर से पहले ठण्डी हवा चलती रहे एवं दोपहर के बाद अचानक हवा चलना बन्द हो जाये तथा आसमान साफ रहे या उस दिन आधी रात से ही हवा रूक जाये तो पाला पडने की सम्भावना अधिक रहती है रात को विशेषकर तीसरे व चौथे पहर में पाला पडने की सम्भावना अधिक रहती है।
 
 
 
 
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