हरमू नदी के उद्गम स्थल पर अतिक्रमण मामले में आरआरडीए चेयरमैन से पूछे सवाल
रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य के नगर निकायों में नक्शे स्वीकृति में पैसों के खेल मामले में स्वत: संज्ञान की बुधवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश के आलोक में आरआरडीए के वाइस चेयरमैन अमित कुमार एवं टाउन प्लानर स्वप्निल मयूरेश कोर्ट के समक्ष समक्ष उपस्थित हुए। जस्टिस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने आरआरडीए वाइस चेयरमैन पर नाराजगी जताते हुए मौखिक कहा कि जब कोर्ट के संज्ञान में हरमू नदी के उद्गम स्थल पर अतिक्रमण की बात आई और हाई कोर्ट के निर्देश पर एडवोकेट कमिश्नर ने उस क्षेत्र का दौरा किया था। इसके बाद आपने उस क्षेत्र का सर्वे क्यों नहीं किया, वहां कितने मकान बने हैं, कितने अवैध है, इसके बारे में सर्वे आरआरडीए की ओर से क्यों नहीं किया गया। टाउन प्लानर भी वहां एडवोकेट कमिश्नर के साथ गए थे लेकिन उसके बाद आरआरडीए ने अतिक्रमण पर एक्शन नहीं लिया।
अतिक्रमण से नदी की चौड़ाई पर कितना असर पड़ा है। इसका भी सर्वे होना करना चाहिए था लेकिन आरआरडीए ने इसपर कुछ नहीं किया। इससे पहले आरआरडीए की ओर से बजरा मौजा के मकानों का चार स्वीकृत नक्शा को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया। कोर्ट ने आरआरडीए को निर्देश दिया है कि एडवोकेट कमिश्नर के रिपोर्ट के आदर पर बजरा मौजा में बजरा नदी के निकट बने भवनों के बारे में सर्वे कर अगली सुनवाई 22 दिसंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
कोर्ट ने नदी में अतिक्रमण के शिकायतकर्ता को जान से मारने की धमकी मामले में सरकार से पूछा कि क्या अधिवक्ता लाल ज्ञान रंजन शाहदेव को सुरक्षा मुहैया कराई गई है? इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि एक सुरक्षा कर्मी उन्हें उपलब्ध कराया गया है, जिस पर कोर्ट ने कहा कि दो सुरक्षा कर्मी अधिवक्ता ज्ञान रंजन को मुहैया कराया जाना चाहिए और सुरक्षाकर्मी ऐसा हो जो बिलकुल फिट हो, अधिक उम्र वाला पुलिसकर्मी ना हो। कोर्ट ने यह पूछा कि लाल ज्ञान रंजन द्वारा दर्ज एफआईआर पर क्या करवाई हुई, जिसपर सरकार की ओर से कहा गया कि इस पर कार्रवाई जारी है।
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