छात्रों को शोध क्षेत्र में संस्थान की संस्कृति दिखाने का मौका :डॉ.शासनी

एनबीआरआई में शुरू हुआ शोधार्थियों का दो दिवसीय विज्ञान महोत्सव

छात्रों को शोध क्षेत्र में संस्थान की संस्कृति दिखाने का मौका :डॉ.शासनी

  • डॉ.राकेश चन्द्र अग्रवाल,प्रो.मनोज कुमार धर,डॉ.अजित कुमार शासनी रहे मौजूद
लखनऊ। राजधानी के एनबीआरआई में शोधार्थियों के लिए दो दिवसीय पादप महोत्सव की शुरूआत की गयी। सोमवार को वैऔअप- एनबीआरआई में ग्रीष्मकालीन पादप महोत्सव का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि शिक्षा विभाग डॉ. राकेश चन्द्र अग्रवाल एवं विशिष्ट अतिथि एसीएसआईआर के निदेशक प्रो. मनोज कुमार धर उपस्थित रहे। वहीं संस्थान के निदेशक डॉ अजित कुमार शासनी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम पूरी तरह से संस्थान के विद्यार्थियों के द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
 
इससे सभी विद्यार्थी अपने शोध को प्रदशित कर संस्थान की संस्कृति एवं जीवंतता दिखा सकते हैं। उन्होंने कहा इस विज्ञान महोत्सव का आयोजन का मुख्य उद्देश्य शोधार्थियों की छुपी हुई प्रतिभाओं को उजागर करना एवं प्रोत्साहित करना है। साथ ही उनके अंदर विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए हिम्मत एवं जोश उत्पन्न करना है। इसी क्रम में ग्रीष्मकालीन पादप महोत्सव की संयोजक एवं मुख्य वैज्ञानिक डॉ. विधु साने ने बताया कि इस विज्ञान महोत्सव में प्रतिभागियों द्वारा दो दिनों में विभिन्न वर्गों में प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी।
 
जिसमें मौखिक व्याख्यान, पोस्टर प्रस्तुति, फोटोग्राफी प्रतियोगिता, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, ट्रेजर हंट, विज्ञान कला शामिल है। उन्होंने बताया कि महोत्सव में संस्थान में करीब 200 से ज्यादा शोधार्थी भाग ले रहे हैं। आज विभिन्न सत्रों में पादप विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में शोधार्थियों द्वारा 22 मौखिक व्याख्यान एवं 22 पोस्टर प्रस्तुति प्रस्तुत की गयी और यह आयोजन एसीएसआईआर, गाजियाबाद द्वारा सह-प्रायोजित है। साथ ही समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. अग्रवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि आज कृषि एक ऐसा क्षेत्र बन गया है जिसमें रोजगार की अपार संभावनाएं उत्पन्न हो रही है। उन्होंने कहा कि विकसित एवं आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कृषि क्षेत्र को भी विकसित किये जा रहे प्रयासों से इस क्षेत्र में भी छात्र रूचि लेने लगे हैं। उन्होंने कहा कि आर्टीफिसियल इंटेलीजेंस, ड्रोन कृषि, जीनोमिक्स, ऊतक संवर्धन, लोजिस्टिक, मार्केटिंग अनेकों क्षेत्र अब कृषि से जुड़ रहे हैं जिनके कारण कृषि क्षेत्र में नए स्टार्ट अप बन रहे हैं और विभिन्न इनक्यूबेटर से सहायता प्राप्त कर आगे बढ़ रहे हैं।

समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रो. मनोज कुमार धर ने बताया कि शोधार्थियों एवं वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयास से यह संस्था शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम हासिल करने के लिए अग्रसर है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष आईसीएम्आर की लगभग 28 नई प्रयोगशालाओं के जुड़ने से अब देश भर की 82 प्रयोगशालाओं तक पहुच चुका हैं। जिसमें सात हजार से भी ज्यादा शोधार्थियों के पंजीकरण के आधार पर एसीएसआईआर अनुसन्धान कराने वाली देश की एक बड़ी संस्था बन चुकी है। समारोह के अंत में डॉ. मेहर आसिफ वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक ने धन्यवाद ज्ञापित हो गया।
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