मणिपाल हॉस्पिटल ने एक्मो से मरीज की जान बचाई

मणिपाल हॉस्पिटल ने एक्मो से मरीज की जान बचाई

जयपुर। मणिपाल हॉस्पिटल ने बहरोड़ के एक 21 वर्षीय मरीज की जान बचाने में सफलता हासिल की, जिसे सल्फास की गोलियां खाने के बाद गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। मरीज को रक्तचाप बढ़ाने के लिए दवाओं की अधिकतम खुराक दी गई थी और जब वह अस्पताल पहुंचा तो उसके दिल की पंपिंग क्षमता बेहद कम थी। मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर क्रिटिकल केयर के प्रमुख डॉ. वैभव वैष्णव और आईसीयू टीम ने तुरंत इलाज शुरू किया। हालांकि, मरीज की हालत लगातार बिगड़ती गई और मरीज के रिश्तेदार को एक्स्ट्रा कॉर्पाेरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन नामक एक नई तकनीक के बारे में बताया गया। उपचार के लिए उनकी सहमति मिलने के बाद मरीज को एक्मो मशीन और वेंटीलेटर पर रखा गया।

एक्मो मशीन एक उन्नत तकनीक है जिसमें हृदय और फेफड़ों का कार्य मशीन के द्वारा चलाया जाता है, जिससे उन्हें आराम मिलता है और वह ठीक हो जाते हैं। इसका उपयोग आमतौर पर गंभीर श्वसन या हृदय विफलता के मामलों में किया जाता है और इसके द्वारा दुनिया भर में अनगिनत लोगों की जान बची है। ऐसी परिस्थिति में बहुत जरूरी है की मरीज को सही समय पर ऐसे अस्पताल में भर्ती कराया जाए, जहां इस तरह की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हो और जल्द से जल्द मरीज का इलाज कर उसकी जान बचाई जा सके।

मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर के क्रिटिकल केयर के प्रमुख डॉ. वैभव वैष्णव ने कहा धीरे-धीरे, मरीज की हृदय पंप करने की क्षमता में सुधार हुआ और उसका रक्तचाप स्थिर हो गया। मरीज़ की हालत में लगातार सुधार हो रहा था और जिन दवाइयों से उसका रक्तचाप बढ़ रहा था उनकी खुराक अब धीरे-धीरे कम कर दी गई। पहले मरीज को लगभग सात दिनों तक एक्मो पर रखा गया था। इसके बाद मरीज को वेंटीलेटर से हटा दिया गया और उसके हृदय की कार्यप्रणाली पहले से काफी बेहतर हो गई।

मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर के डायरेक्टर रंजन ठाकुर ने बताया कि टीम द्वारा प्रदान की गई विशेषज्ञ देखभाल की बदौलत मरीज को स्वस्थ होने पर अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। एक्मो मशीन का यह सफल उपयोग अपने मरीजों को अत्याधुनिक चिकित्सा देखभाल प्रदान करने की अस्पताल की प्रतिबद्धता को उजागर करता है। गौरतलब है कि मणिपाल हॉस्पिटल इस तरह के कई मामले पूर्व में आ चुके है जिन्हे सफलता पूर्वक उपचार प्रदान किया गया है।

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