गेहूँ की देर से पकने वाली किस्मों की करें बुवाई

गेहूँ की देर से पकने वाली किस्मों की करें बुवाई

झाँसी। बुंदेलखण्ड में गेहूँ रबी सीजन की प्रमुख फसल है। वर्तमान में इसकी बुवाई चल रही है। यह समय इस फसल के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है। कुछ किसानों को गेहूँ की बुवाई करने में देरी हो जाती है। देरी से होने बाली गेहूँ की किस्मों की जानकारी वैज्ञानिकों ने दी है। रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय   कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डाॅ. अनिल कुमार राय एवं डाॅ. योगेश्वर सिंह ने बताया कि देर से पकने बाली किस्मों की बुवाई मध्य नवम्बर से 15 दिसम्बर तक कर उपज अच्छी ले सकते हैं। बुवाई करते समय खेत में नमीं होना चाहिए, ताकि गेहूँ का अंकुरित हो सके। पुराने बीज का प्रयोग करने से पहले जमाव/अंकुरण क्षमता अवश्य जांच लें। यदि अंकुरण क्षमता ठीक है, तो सीडड्रिल से 100 किग्रा तथा मोटा दाना 125 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई करें। अंकुरण प्रतिशत कम होने पर 125 किग्रा. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बुवाई करें। देर से बुवाई में गेहूँ के अधिक उत्पादन के लिए उन्नत प्रजातियां जैसे एचडी . 2967, डीबीडब्लू .303,187, 222, 327, 371, 372, पीबीडब्लू .  826 और एचडी -2932 यह किस्म विश्वविद्यालय में उपलब्ध है। इन किस्मों की  बुवाई 15 दिसम्बर तक कर सकते हैं।

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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