योगी- शाह बदल पाएंगे भाजपा प्रत्याशी की किस्मत!
कड़े मुकाबले में भारी पड़ता नजर आ रहा गठबंधन प्रत्याशी
*आंतरिक विरोध के चलते भाजपा प्रत्याशी मुसीबत में *पांच साल से मतदाताओं से दूरी व संगठन की उपेक्षा भी पड़ रही भारी *अंतिम हफ्ते में चुनावी रंग गहराने की उम्मीद *अखिलेश के साथ राहुल या प्रियंका भी दिखाएंगे गठबंधन का दम
झाँसी। 18वीं लोकसभा के गठन के लिए सारे देश के साथ झाँसी ललितपुर लोकसभा क्षेत्र में भी जबरदस्त घमासान चल रहा है। वर्तमान भाजपा सांसद अनुराग शर्मा का यहां इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी प्रदीप जैन आदित्य से कड़ा मुकाबला चल रहा है। गठबंधन प्रत्याशी कांग्रेस नेता प्रदीप जैन आदित्य यूपीए के कार्यकाल में 2009 से 2014 तक केन्द्र में ग्रामीण विकास मंत्री भी रहे हैं और अपने ज़मीनी जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं। 2009 में सांसद रहने से पहले 2004 व 2007 में झाँसी सदर क्षेत्र से विधायक भी चुने गए थे। 2014 की मोदी लहर में उन्हें उमा भारती के हाथों सीट गंवानी पड़ी। तब से वे अपनी साख वापस पाने के लिए प्रयत्नशील हैं। इस बार सपा -कांग्रेस गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के कोटे में आई है। बसपा ने अपेक्षानुरूप यहां अयोध्या से लाकर रवि मौर्य को उतारा है जिनके बाहरी होने के कारण कोई असर नहीं है। इसीलिए 2019 में लगभग साढ़े तीन लाख से अधिक वोटों से जीतकर आये भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा,u जिन्हें भाजपा ने रिपीट किया है, को दोबारा टिकट मिलने के बाद भी चुनावी रण में पसीना छूट रहा है। अब 16 मई को भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभा करने आ रहे हैं। जबकि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की जगह अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को बुलाने की तिकडम लगाई जा रही है। भाजपा प्रत्याशी को आशा है कि ये दोनों भाजपाई दिग्गज उनकी बिगड़ती राजनीतिक किस्मत को रिपेयर कर सकते है और भाजपाई संगठन को आंतरिक भीतरघात से उबारकर चुनाव में अधिक मन से जुटा सकते हैं। दरअसल, अनुराग शर्मा को 5 साल सांसद रहने के बाद भी स्थानीय संगठन और यहां तक के क्षेत्र के निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी कभी सांसद मानने के लिए तैयार नहीं हुए। उसके पीछे दो वज़ह थीं। एक तो उन्हें 2019 में पैराशूट से उतारा गया जिसके चलते जो भाजपाई वर्षों से टिकट के लिए एड़ियां रगड़ रहे थे, वे निराश हुए। दूसरे, बैधनाथ जैसेबड़े औद्योगिक घराने से रिलेटेड होने के कारण सांसद न तो कभी मतदाताओं से रिलेट हो पाए न सांगठनिक लोगों से। इसी कारण उन्हें 2024 में दोबारा टिकट मिलने की आस नहीं थी लेकिन फिर एक बार ज़मीनी कार्यकर्त्ताओं पर धनबल भारी पड़ा और अनुराग के हाथों में पार्टी ने टिकट थमा दिया। दिक्क़त ये आ रही है कि सांसद अपने व्यवसायिक मजबूरियों के चलते मतदाताओं के भरोसे पर खरे नहीं उतर पाए जिसके चलते क्षेत्र में उन्हें कड़ा विरोध झेलना पड़ रहा है। दूसरे नेतृत्व के समझाने के बाद जनप्रतिनिधि व संगठन सांसद के प्रचार में तो लगा है लेकिन सिर्फ़ बाहरी मन से। उधर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के हालात अलग दिखाई दे रहे हैं। झाँसी ललितपुर लोकसभा क्षेत्र में आश्चर्यजनक रूप से गठबंधन के घटक दल एकजुट होकर काम कर रहे हैं जिसके पीछे कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप की रणनीति व समर्पण है। सपाई दिग्गज चंद्रपाल सिंह यादव, दीपनारायण सिंह यादव आदि के साथ समाजवादी पार्टी के बाकी पदाधिकारी अपनी जान झोंक रहे हैं तो आम आदमी पार्टी भी मजबूती के साथ गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में ख़डी है। दूसरे स्थानीय और क्षेत्रीय दल जैसे बुंदेलखंड क्रांति दल, जनअधिकार पार्टी आदि जैसे छोटे छोटे संगठन भी प्रचाररत हैं। इस एकजुटता को देख भाजपा प्रत्याशी भी हैरान हैं और कुछ दिन पहले तक उनका दावा, कि इस बार वे 5 लाख वोट से जीतकर आएंगे, हवा हो गया है। भाजपा प्रत्याशी अब सिर्फ़ जीतने की बात कर रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी के इस डर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से दूर होने की उम्मीद है। उप्र के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक यहां आकर ब्राह्मणों में एकता लाने की कोशिश कर चुके है तो शनिवार को उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी आए हैं। अभी मतदान की तिथि दूर है, तब तक और भी भाजपाई दिग्गज आएंगे जाएंगे। इंडिया गठबंधन प्रत्याशी के समर्थन में उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री व सपाध्यक्ष अखिलेश यादव के अलावा प्रियंका या राहुल गाँधी में से किसी एक के आने की उम्मीद है जिसके बाद दोनों ओर से चुनावी रंग और गहरायेंगे।
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