गन्ने में लगने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए दिए सुझाव
On
संत कबीर नगर , 31 मई 2024(सू0वि0)।* जिला कृषि रक्षा अधिकारी शशांक ने बताया है कि जनपद में बसंतकालीन गन्ने की खेती की जा रही है। गन्ने की अधिक व उच्च गुणवत्ता वाली पैदावार लेने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि गन्ने में लगने वाले कीट/रोगों का उचित नियंत्रण किया जाए। इस हेतु गन्ने में लगने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए निम्न संस्तुति दी जाती है।
*उन्होंने बताया कि अग्र तना छेदकरू* बुआई उपरांत अंकुरण के बाद बढ़ते तापक्रम के साथ अग्र तना छेदक का प्रकोप ऊपर की पोई सूखने के लक्षण से दिखाई देने लगता है। बसंतकालीन एवं गर्मी की बुआई में इसका प्रकोप अधिक होता है। इसकी इल्ली मुलायम तने में सतह के पास छेदकर प्रवेश करती है एवं गोफ को खाने के कारण ऊपर निकलती पोई सूख जाती है। इस छेदक का प्रकोप उपज और शक्कर की मात्रा पर घातक सिद्ध होता है। नियंत्रण हेतु अंकुरण के समय ही फोरेट दानेदार 25 किलो/हेक्टेयर डालकर पानी देते रहें। मैलाथियान/कार्बाेरिल डस्ट भी पौधों के पास भुरकी जा सकती है। स्पर्श कीटनाशी का जैसे क्विनालफॉस, क्लोरोपायरीफॉस का छिड़काव भी प्रकोप को रोकता है। अण्डों के परजीवी ट्राईकोग्रामा किलोनिस 5000 वयस्क छोड़ें। असर कम हो तो दुबारा छोड़ें।
उन्होंने बताया कि *तना छेदक* इस कीट का प्रकोप वर्षा ऋतु में ही होता है। पत्तियों पर अण्डों से निकलकर इल्ली तने पर आंखों के सहारे गन्ने में छेदकर प्रवेश करती हैं। पोरियों पर छोटे-छोटे छेद पाये जाते हैं जहां से यह बाहर निकलती हैं। गन्ना सूखने लगता है। अगोला पहले सूखता है। उपज में 15-20 प्रतिशत की कमी एवं गुणवत्ता में 1 से 1.5 प्रतिशत का नुकसान हो जाता है। नियंत्रण हेतु अन्य बेधक कीटों की तरह ट्राईकोकार्ड लगायें। कोटेशियाफेलियस इस इल्ली का परजीवी है। 500 वयस्क प्रति हेक्टेयर 2 या 3 बार छोड़ें। स्पर्श कीटनाशी क्लोरोपायरीफॉस/ क्विनालफॉस आदि का छिड़काव करें। निचली पत्तियों को निकाल कर नष्ट करें। गन्ना गिरने से बचायें।
*पाइरिल्ला रोग* पत्तियों से रस चूसकर नुकसान करने वाला प्रमुख कीट है। इसका प्रकोप मुख्यतया अप्रैल से अक्टूबर तक रहता है। वयस्क कीट भूरे रंग का व सिर के आगे चोंच जैसा होता है। निम्फ या शिशु के पीछे दो पूंछ जैसी संरचना होती है। शिशु एवं वयस्क दोनों नुकसान करते हैं व इसके कारण पत्तियों का रंग पीला पडऩे लगता है। यह कीट पत्तियों पर लसलसा पदार्थ छोड़ता है जिस पर काली फफूंद का असर होने लगता है। हरीतिमा में कमी के कारण बढऩ रुक जाती है। उपज में 15 से 20 प्रतिशत तक कमी एवं साथ ही चीनी की मात्रा पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसके नियंत्रण हेतु पाइरिल्ला का सफल प्रबंधन जैविक उपायों से संभव है। इस हेतु एप्रिकेनिया के 4-5 लाख अण्डे या 5 हजार शंखियां प्रति हेक्टेयर प्रकोपित फसल पर छोड़ें। खेत में, अगर वर्षा न हो तो, सिंचाई कर नमी बनाएं।
पायरिल्ला अण्डों का परजीवी टेट्रास्टिकस पाईरिल्ली के ग्रसित अण्डों के समूहयुक्त पत्तों को काटकर जगह-जगह फैलायें। अगर परजीवी प्रभावित फसल में नजर न आये तो क्विनालफॉस 25 प्रतिशत 800 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या अन्य स्पर्श प्रभावी कीटनाशक का छिड़काव करें।
*शीर्ष तनाछेदक रोग* यह ऊपरी अधखुली पत्ती की शीर्ष से प्रवेश कर नीचे की ओर सुरंग बनाते हुए गोफ तक पहुंच कर बढ़वार बिन्दु को नष्ट कर देता है। बढ़वार रुक जाने से ऊपरी गांठों पर अंकुरित शाखाएं दिखने लगती हैं। ऊपरी खुलती पत्तियों को देखें तो उन पर एक लाईन में कई छेद नजर आते हैं। यह इस छेदक की मुख्य पहचान है। इसके नियंत्रण के लिए जैविक उपचार हेतु ट्राइकोग्रामा 50000 वयस्क प्रति हे. 15-20 दिन के अंतराल पर छोड़ें। ट्राईकोकार्ड अच्छी प्रयोगशाला से ही लें। लाईट ट्रेप का प्रयोग करते रहें। गन्ने में मिट्टी अवश्य चढ़ायें। कार्बाेफ्यूरान (3जी) वर्षा शुरू होते ही नमी में गन्नों के पास डालें या सिंचाई करें। या फ्यूराडान (3जी) 33 किलो का प्रयोग करें।
*दीमक रोग* यह शुष्क जलवायु, हल्की भूमियों एवं सिंचाई की कमी वाले इलाकों में अधिक नुकसान पहुंचाता है। गन्ने की बोई हुई आंखों को पहले असरकर अंकुरण प्रभावित करता है। बाद में पोरियों में सुरंग जैसी बनाकर मिट्टी भरी दिखाई देती है। फसल को 30 से 40 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाते है। इनका प्रकोप वैसे तो सारा साल रहता है पर गर्मी में तीव्रता से बढ़ जाता है। इसके नियंत्रण हेतु क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी 5 लीटर प्रति हेक्टेयर या वाइफेन्थ्रिन 400 मिली को 2 से 3 ली. पानी में घोलकर बारीक रेत में मिलाकर पौधों के पास डालें व हल्की सिंचाई करें।
Tags:
About The Author
Related Posts
अपनी टिप्पणियां पोस्ट करें
Latest News
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने शहर में खाली कराया दो लाख उनसठ हजार लाख वर्ग फिट अतिक्रमण
18 Jan 2025 21:46:15
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के नजूल विभाग ने शहर में बटलर पैलेस से चंद कदम दूर दो लाख उनसठ हजार...
टिप्पणियां