बात वही जो सबके मन को भाये, न हिंदू न मुस्लिम वोट बैंक के नाम पर गाये जाएं गीत : निगार फारूखी
गाजियाबाद, ( तरूणमित्र )
जनसेवक निगार फारूखी की पहल, बात वही जो सबके मन को भाये, न हिंदू न मुस्लिम वोट बैंक के नाम पर गाये जाएं गीत, इसी पर आधारित लेख!! जनवरी 22 और मुसलमान न मैं बात कर रही हूं मस्जिद की न अयोध्या की न मुसलमानों की न लिंचिग की न बुलडोजर की और मुसलमानों के शानदार इतिहास की। बात तो वर्तमान में करना ही वयर्थ है।लेकिन जब प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लाल क़िले से देश को संबोधित करते हैं तो मुग़लों की याद आ जाती है। मैं बात कर रही हूं एपीजे अब्दुल कलाम की शिक्षा और प्रतिभा के धनी जिनको इसी हिंदुस्तान ने सबसे ऊंची कुर्सी पर बिठाया मिसाइल मैन ऑफ इंडिया का नाम दिया। मैं बात कर रही हूं लूलू मॉल के मालिक यूसुफ अली की जिनका व्यवसाय 24 देशों में फैला हुआ है। लखनऊ में लूलू मॉल का उद्घाटन यूपी के मुख्यमंत्री योगी ने किया था जो कट्टर हिंदू प्रतीक हैं और बुलडोज़र बाबा के नाम से प्रख्यात भी हो चुके हैं। क्रिकेटर मौ. शमी जो प्रतिकूल परिस्थितियों से गुज़र कर शिखर पर पहुंचे जिनका पारिवारिक जीवन भी मुश्किलों से घिरा रहा। तो शिक्षा, धन, सफलता आज का सच्चा मंत्र है। अभी हाल में आई फ़िल्म जवान जिसमें कई ज्वलंत मुद्दों को दर्शाया गया है, किसानों की आत्महत्या, भ्रष्टाचार, डाक्टर कफ़ील कांड और ई,वी,एम। जनता ने फ़िल्म ख़ूब पसंद करी ताली बजाई क्योंकि जनता भी सच्चाई देखना चाहती है, और जनता में कौन अधिकतर बहुसंख्यक क्योंकि मॉल में न तो मुसलमान ज़्यादा जाते हैं और न उनके यहां संडे या वीकेंड की कोई अवधारणा है। उनको तो दिहाड़ी पर भागना होता है या फिर चिकन बिरयानी की ठेली या वेलडिंग की दुकान या फिर ये कहें कि अब्दुल पेंचर वाला। ( यह काम बुरे नहीं लेकिन सिर्फ यही काम करना ठीक नहीं ) जवान फ़िल्म में शाहरुख खान ने एक बड़ा संदेश दिया है आपकी उंगली का ( वोट) यह आपकी उंगली नहीं आपका भविष्य है। आप इसका कैसे उपयोग करते हैं किस का चुनाव करते हैं वोट को अपनी बेटी समझना चाहिए कि आप किसको दे रहे हैं। फ़िल्म में दर्शाया गया है कि ई,वी,एम ,कितनी भ्रष्ट प्राणाली है, और यह सब जनता को छू गया सब जानते हैं फ़िल्म की कमाई एक हज़ार करोड़ से पार और शाहरुख खान बादशाह। सरकार को कोसना बंद कीजिए मदरसे बंद हो रहे हैं स्कूलों में भेदभाव हो रहा है, सोशल मीडिया पर कितना समय बबार्द करते हैं फ़िज़ूल और ग़लत कंटेंट देखते हैं। लाश ठिकाने लगाना बम बनाना सीखा जा सकता है क्या इल्म नहीं सीखा जा सकता। लो जान बेचकर भी जो इल्मों हुनर मिले जिससे मिले जहां से मिले जिस क़दर मिले इल्म कहते हैं जिसे सबसे बड़ी दौलत है, ढूंढ लो इसे अगर दुनिया में इज़्ज़त चाहिए, और अगर चाहिए जन्नत भी मरने के बाद तो पढ़ लो और चल लो फ़रमाने रसूल पर, मिलती नहीं है जन्नत अफ़ज़ल गुरु और क़साब को।
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