श्रीमद्भागवत गीता मानव जीवन की एक दिग्दर्शिका-संतोष गुप्ता
बस्ती - बड़ेवन स्थित एक होटल में ‘श्रीमद्भागवत गीता सेमिनार’ का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में जयपुर से पधारे संतोष गुप्ता जी ने कहा की श्रीमद् भागवत गीता मानव जीवन का एक दिग्दर्शिका है। उन्होने कहा मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य भगवत प्राप्ति ही है ना की आहार, निद्रा, भय और मैथुन। भगवत गीता हर व्यक्ति को पढ़ना चाहिए चाहे वह किसी धर्म का भी हो।
सेमिनार का शुभारंभ 9ः30 बजे से डॉक्टर पुष्पा के भजन ‘ऐसा क्या काम मैंने तेरा किया, जो तूने हाथ मेरा थाम लिया’ से प्रारंभ हुआ। इसके बाद एक से एक भजन प्रस्तुत किये गये। मुख्य वक्ता ने बताया गया कि गीता प्रचार से भगवान श्री कृष्ण अति प्रसन्न होते हैं और कहते हैं कि उसके समान ना कोई मेरा प्रिय है और ना होगा। लखनऊ से पधारे श्री जी लाल ने बताया की भागवत गीता वैक्सीन की तरह काम करती है। बाल्यकाल से ही इसके सानिध्य में रहना चाहिये। कम से कम प्रतिदिन हर व्यक्ति को 5 श्लोक अवश्य ही पढ़ना चाहिए।
अगर ऐसा कोई इंसान करता है तो उसकी अगली योनि कम से कम मनुष्य की होगी। डॉ प्रकाश एवं सत्येन्द्र वर्मा की शंकाओं का समाधान भी किया गया। सभी 60-65 साधकों को राम सुख दास द्वारा टीकाकृत श्रीमद् भागवत गीता प्रदान की गई। इस कार्यक्रम में तरुण श्रीवास्तव, श्याम सुन्दर लाल एस पी श्रीवास्तव, राकेश श्रीप्रकाश चतुर्वेदी, सोरव केसरवानी, शशि श्रीवास्तव, ललिता श्रीवास्तव, नीलम, समर्थ श्रीवास्तव, उमा श्रीवास्तव आदि ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम के अंत में राजेश कुमार श्रीवास्तव ने सभी साधकों को श्रीमद्भगवत गीता किट दी गई।
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