गाजियाबाद महानगर की स्वास्थ्यगत टीस को डॉ बीपी त्यागी ने व्यंगात्मक शैली में अभिव्यक्त किया

कहा- "मैं ग़ाज़ियाबाद हूँ, ट्रिपल इंजन वाली सरकार में देश की राजधानी दिल्ली से जुड़ा यूपी का पहला ज़िला और औद्योगिक नगरी के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और कारोबारी दुनियां का अहम शहर बन चुका हूं, लेकिन मेरा स्वास्थ्य सिस्टम जर्जर है।"

गाजियाबाद महानगर की स्वास्थ्यगत टीस को डॉ बीपी त्यागी ने व्यंगात्मक शैली में अभिव्यक्त किया

( तरूणमित्र ) गाजियाबाद। हर्ष हॉस्पिटल के सीईओ और राष्ट्रवादी जनसत्ता दल के चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ बीपीएस त्यागी, एमबीबीएस, एमएस, एलएलबी ने केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार, राज्य में सत्तारूढ़ योगी आदित्यनाथ सरकार और गाजियाबाद नगर निगम में सत्तारूढ़ सुनीता दयाल सरकार को आईना दिखाते हुए और महानगर की पीड़ा को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि "मैं ग़ाज़ियाबाद हूँ, ट्रिपल इंजन वाली सरकार में देश की राजधानी दिल्ली से जुड़ा यूपी का पहला ज़िला और औद्योगिक नगरी के साथ साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और कारोबारी दुनियां का अहम शहर बन चुका हूं, लेकिन मेरा स्वास्थ्य सिस्टम जर्जर है।" बड़े ही व्यंग्यात्मक अंदाज में लेकिन सधे हुए शोधपूर्ण तथ्यों, आंकड़ों और तर्कों के सहारे उन्होंने लिखा है कि "कभी कभी मैं सोचता हूँ कि आखिर ऐसा क्यों है और इसे और आधुनिक रूप से स्वस्थ बनाने के लिए क्या किया जा सकता है, ताकि महानगर वासियों के साथ साथ देश-प्रदेश वासियों का भी भला हो सके। तब मेरे जेहन में कुछ सवाल उठते हैं, जिनका जवाब आप सुधि मतदाताओं को भी जानने-समझने की दरकार है।" वह यह कि पहला, नीति आयोग मेरे राज्य को स्वास्थ्य में 28 राज्यों में 18वां नंबर क्यों देता है? दूसरा, एक तरफ 15वां वित्त आयोग मेरे राज्य को टोटल बजट का 8 प्रतिशत हेल्थ के ऊपर खर्च करने को बोलता है, लेकिन 6.9 लाख करोड़ के बजट से मेरे राज्य को मात्र 20,000 हज़ार करोड़ रुपये हेल्थ के लिए दिये जाते हैं जो राज्य के टोटल बजट का 3.5 प्रतिशत है। तीसरा, मेरे राज्य को हर ज़िले में एक मेडिकल कॉलेज देने का वायदा करके विधान सभा चुनाव 2022 में भाजपा जीत जाती है, लेकिन मेडिकल कॉलेज की बात तो दूर मुझे जो 4 हॉस्पिटल खोड़ा, विजयनगर, साहिबाबाद व भोजपुर में देने थे, उनके लिए भी मुझे लखनऊ को पत्र लिखना पड़ रहा है। चतुर्थ, आये दिन अख़बार मेरे अस्पतालों की बुराई करते हैं कि मेरे पास टूटी हड्डी के लिये इंप्लांट नहीं है, रेबीज वैक्सीन रखने को फ्रिज नहीं है, शीतकालीन हीटर नहीं है, मेरे अस्पताल जर्जर हालत में हैं, लैब-सीटी स्कैन वगैरह काम नहीं कर रहे हैं। पंचम, मुझे 47 साल में गंभीर मरीजों का इलाज करने के लिए आईसीयू व ट्रामा सेंटर तक नहीं दिया गया है, जबकि मैं सूबे को स्वास्थ्य राज्यमंत्री तक दे चुका हूं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रायः मेरा प्रतिनिधित्व रहता आया है। मुझे 210 वर्ग किमी में फैला दिया गया है लेकिन मेरी 17.50 लाख की आबादी स्वास्थ्य लाभ के लिए इधर उधर भागती रहती है। मेरे अस्पतालों में पोस्टमार्टम करने के लिए फॉरेंसिक मेडिसिन के डॉ तक नहीं है। आलम यह है कि चुनावों के समय मुझसे झूठे वायदे करके ख़ुश कर दिया जाता है। लेकिन मेरा स्वास्थ्य दिन ब दिन बिगड़ता जा रहा है। इसलिए मैं ट्रिपल इंजन सरकार से विनती करता हूँ कि मेरे स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। क्योंकि हालात अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा है।

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