28 में से 17 सीटें भाजपा के पास, कांग्रेस 7, बीएपी 3 व निर्दलीय एक जीता

28 में से 17 सीटें भाजपा के पास, कांग्रेस 7, बीएपी 3 व निर्दलीय एक जीता

उदयपुर। राजनीतिक गलियारों में कहा जाता है कि राजस्थान की सत्ता का रास्ता मेवाड़-वागड़ से होकर गुजरता है। राजस्थान की तरह मेवाड़-वागड़ क्षेत्र में भी रिवाज बरकरार रहा है और जनजाति बहुल दक्षिणी राजस्थान के इस हिस्से ने भाजपा की झोली में 28 में से 17 सीटें डाली हैं। कांग्रेस को 7 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है, जबकि नवगठित भारत आदिवासी पार्टी ने 3 सीटों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। कुल 28 सीटों में से एक सीट पर निर्दलीय ने झण्डा गाड़ा है, हालांकि यह निर्दलीय भाजपा के बागी चित्तौड़गढ़ सीट से चंद्रभान सिंह आक्या हैं। ऐसे में इस जीत को भी भाजपा के टिकट वितरण की खामी बताकर, इसे भाजपा समर्थित ही कही जा रही है। खुद आक्या भी यह कहते रहे हैं कि वे पीएम मोदी व पूर्व सीएम वसुंधरा के खिलाफ कभी नहीं हैं।

उदयपुर संभाग (पुराने) में उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा व डूंगरपुर जिले आते हैं। यदि एक विजेता निर्दलीय को भाजपा विचारधारा का ही मान लिया जाए तो संभाग के दो जिले पूर्ण रूप से भाजपा की झोली में गए हैं। राजसमंद जिले के चार और चित्तौड़गढ़ जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशियों को पसंद किया है। राजसमंद जिले गत विधानसभा चुनाव में 2 कांग्रेस और 2 भाजपा के पाले में सीटें गई थीं, लेकिन इस बार चारों ही सीटों पर भाजपा ने परचम लहराया है। इस जिले में कांग्रेस के दिग्गज नेता विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी का हारना भाजपा की बड़ी जीत माना जा रहा है। यहां डॉ. जोशी के सामने महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था। शुरू से ही यहां कांटे की टक्कर मानी जा रही थी। विश्वराज सिंह मेवाड़ ने डॉ. जोशी को 7504 मतों से मात दी।

इसी तरह, राजसमंद सीट पर भाजपा के बागी के कारण त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा था, लेकिन यहां पर भाजपा की दीप्ति किरण माहेश्वरी ने कांग्रेस से नारायण सिंह भाटी को 31 हजार 962 मतों से हराया। कुंभलगढ़ की सीट इस बार भी भाजपा की झोली में गई। यहां पर भाजपा के सुरेन्द्र सिंह राठौड़ कांग्रेस के योगेन्द्र सिंह परमार से 22 हजार 60 मतों से विजयी हुए। भीम की सीट इस बार कांग्रेस से छिटक गई। यहां पर मौजूदा विधायक सुदर्शन सिंह रावत को भाजपा के हरीसिंह रावत ने 31 हजार 768 मतों से हराया।

चित्तौड़गढ़ जिले की कपासन सीट से भाजपा के अर्जुनलाल जीनगर ने कांग्रेस के शंकरलाल बैरवा को 21344 वोटों से हराया। इसी तरह, बेगूं सीट से भाजपा के डॉ. सुरेश धाकड़ ने कांग्रेस के राजेन्द्र सिंह विधुड़ी को 50661 वोट से, निम्बाहेड़ा में भाजपा के श्रीचंद कृपलानी ने कांग्रेस के उदयलाल आंजना को 3845 वोट से तथा बड़ीसादड़ी सीट पर भाजपा के गौतम कुमार दक ने कांग्रेस के बद्रीलाल जाट को 11832 वोट से हराया। चित्तौड़गढ़ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चंद्रभान सिंह आक्या ने 6823 मतों से विजय पाई, लेकिन यहां भाजपा प्रत्याशी नरपत सिंह राजवी तीसरे स्थान पर रहे। आक्या के निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के सुरेन्द्र सिंह जाड़ावत उभर कर आए।

उदयपुर जिले की बात करें तो यहां आठ में से छह सीटें भाजपा की झोली में गई हैं। गत विधानसभा चुनाव में भी जिले की छह सीटें भाजपा की झोली में गई थी। इस बार उदयपुर जिले की खेरवाड़ा और मावली सीट कांग्रेस की झोली में गई हैं, जबकि पिछली बार खेरवाड़ा और वल्लभनगर की सीट भाजपा की झोली में थी। इस बार मावली की सीट पर भाजपा के बागी ने भाजपा के प्रत्याशी को छका दिया और मामूली अंतर से भाजपा यहां सीट निकाल पाने से चूक गई। मावली में जीत का अंतर 1567 रहा है जबकि यहां भाजपा के बागी को 32521 वोट मिले। मावली में कांग्रेस के पुष्कर लाल डांगी ने भाजपा के केजी पालीवाल को मात दी। जबकि, खेरवाड़ा में दयाराम परमार ने 17244 वोट से निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के नानालाल अहारी को हराया।

उदयपुर जिले में उदयपुर शहर में ताराचंद जैन ने कांग्रेस के प्रो. गौरव वल्लभ को 32771 मतों से हराया। इसी तरह, उदयपुर ग्रामीण में भाजपा के फूल सिंह मीणा ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के विवेक कटारा को 27345 मतों से, वल्लभनगर में भाजपा के उदयलाल डांगी ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी प्रीति गजेन्द्रसिंह शक्तावत को 20060 वोट से, सलूम्बर में भाजपा के अमृत लाल मीणा ने कांग्रेस के रघुवीर मीणा को 14691 वोट से, गोगुन्दा में भाजपा के प्रताप भील ने कांग्रेस के मांगीलाल गरासिया को 3665 वोट से तथा झाड़ोल में भाजपा के बाबूलाल खराड़ी ने कांग्रेस के हीरालाल दरांगी को 6488 मतों से हराया।

संभाग के प्रतापगढ़ जिले में धरियावद सीट पर भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने कब्जा जमा लिया है। यहां बीएपी के थावरचंद ने भाजपा के कन्हैयालाल को 6691 वोट से हराया। जिले की दूसरी सीट प्रतापगढ़ पर भाजपा के हेमंत मीणा ने कांग्रेस के रामलाल मीणा को 25109 मतों से हराया। डूंगरपुर जिले में भी बीएपी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यहां आसपुर और चौरासी में बीएपी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। आसपुर में बीएपी के उमेश मीणा ने भाजपा के गोपीचंद को 28940 वोट से हराया तो चौरासी में बीएपी के राजकुमार रोत ने भाजपा के सुशील कटारा को 69166 वोट से हराया। संभाग में सबसे पहला परिणाम राजकुमार रोत का ही घोषित किया गया था।

जिले की दो अन्य सीटों में से एक भाजपा एक कांग्रेस की झोली में गई है। डूंगरपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के गणेश घोघरा ने बीएपी के कांतिलाल रोत को 19053 वोट से हराया, जबकि सागवाड़ा में भाजपा के शंकरलाल डेचा ने बीएपी के मोहनलाल रोत को 11999 वोट से हराया। इस जिले में बीएपी का वोट प्रतिशत खासा बढ़ा है। बीएपी ने राष्ट्रीय दलों को मजबूत चुनौती दी है। संभाग के बांसवाड़ा जिले की पांच सीटों में से कांग्रेस ने चार पर अपना कब्जा रखा है। यहां भाजपा की झोली में सिर्फ गढ़ी की सीट आई है जहां भाजपा के कैलाश चंद्र मीणा ने कांग्रेस के शंकरलाल चरपोटा को 15107 मतों से हराया। घाटोल और बागीदौरा में भाजपा निकटतम प्रतिद्वंद्वी भी नहीं रह सकी। वहां बीएपी दूसरे स्थान पर रही है। घाटोल में कांग्रेस के नानालाल निनामा ने बीएपी के अशोक कुमार को 3691 वोट से हराया, जबकि बागीदौरा में कांग्रेस सरकार के मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया ने बीएपी के जयकृष्ण पटेल को 41355 वोट से मात दी। बांसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के अर्जुन सिंह बामणिया ने भाजपा के धनसिंह रावत को 1400 वोट से हराया। इसी तरह, कुशलगढ़ में कांग्रेस की रमिला खड़िया ने भाजपा के भीमा भाई को 9804 वोट से हराया। जनजाति बहुल उदयपुर संभाग से सिर्फ दो महिलाएं विधायक चुनकर विधानसभा पहुंची हैं। इनमें राजसमंद से दीप्ति माहेश्वरी और कुशलगढ़ की रमिला खड़िया शामिल हैं।

 

 

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