वन मेले के दूसरे दिन साढ़े नौ लाख रुपये के हर्बल औषधियों की बिक्री

15 हजार लोगों ने किया भ्रमण, 500 से ज्यादा आगंतुकों को निःशुल्क चिकित्सीय परामर्श

वन मेले के दूसरे दिन साढ़े नौ लाख रुपये के हर्बल औषधियों की बिक्री

भोपाल। वन मेले के शुभारंभ से दूसरे ही लगभग साढे नौ लाख रुपये के वनोपज एवं हर्बल उत्पाद से निर्मित औषधियों की बिक्री हो चुकी है। वन मेले की लोकप्रियता दूर-दूर तक फैल चुकी है। भोपाल हाट में आयोजित मेले में दूसरे दिन 15 हजार लोगों ने भ्रमण किया। यह जानकारी जनसम्पर्क अधिकारी केके जोशी ने दी। उन्होंने बताया कि मेले में स्थापित ओपीडी में बड़ी संख्या में 500 से अधिक आगंतुकों ने निःशुल्क चिकित्सीय परामर्श प्राप्त किया। मेले में गुरुवार को सुबह दस से रात्रि नौ बजे तक आयुर्वेद चिकित्सकों तथा अनुभवी वैद्यों ने अपनी सेवाएं दी। ओपीडी में आयुर्वेदिक चिकित्सकों तथा अनुभवी वैद्य द्वारा निःशुल्क परामर्श मेले के अंतिम दिन तक जारी रहेगा। दरअसल, वन मेले का शुभारंभ राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने बुधवार शाम को किया था। मेले में लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केंद्र के विन्ध्य हर्बल्स ब्रांड के उत्पादों जैसे शहद, च्यवनप्राश एवं त्रिकुट आदि को उनके प्रभावी असर एवं गुणवता की वजह से आगंतुकों द्वारा काफी सराहा जा रहा है। नर्सरी के औषधीय पौधे भी आगंतुकों को आकर्षित कर रहे हैं।

"लघु वनोपज से समृद्धि ' विषय पर एक कार्यशाला में अपर मुख्य सचिव, वन विभाग जेएन कंसोटिया एवं प्रशासक म. प्र. राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ ने कहा कि आदिवासी सदियों से वनोपज का उपयोग कर रहे हैं और बदलते समय के साथ उनको भी लाभ मिलना चाहिए। सस्टेनेबल कांसेप्ट के साथ वनोपज की नयी नीति बनानी चाहिए जैसे की फूड ग्रेड महुआ का नेट पर इकत्रित कर अधिक मूल्य प्राप्त हो सके। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख डा अभय पाटिल ने बताया कि वर्तमान वन नीति में लघु वनोपज का प्रबंधन और संरक्षण का उल्लेख है। लघु वनोपज को शहरी लोगों तक पहुँचाने के लिये उनकी पैकेजिंग, गुणवता, सफाई पर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं प्रबंध संचालक मप्र राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ विभाष कुमार ठाकुर ने कहा कि समय के साथ सभी हितग्राहियों के कार्य करने की शैली भी बदल रही है तथा उनकी आजीविका के साधन भी बढ़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री वन धन योजना अंतर्गत मध्य प्रदेश एवं अन्य राज्यों में संचालित वन धन केन्द्रों के द्वारा बनाए जा रहे सभी उत्पाद के प्रति लोगों का अत्यधिक रुझान रहा। इन उत्पादों में महुए एवं देशी मोटे अनाज (मिलेट्स) के प्रति बढती लोकप्रियता ने देशी महुए के लड्डू, महुए का अचार, महुआ कुकीज, कोदो-कुटकी कुकीज, अलसी लड्डू, तिल लड्डू देशी मक्का कुकीज, आंवला कैंडी, आंवला पाचक ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। आगंतुकों ने बढ़ी उत्सुकता के साथ इन उत्पादों को खरीदा।एलोविरा से निर्मित साबुन, शैम्पू, हैण्ड वॉश, जैल, आंवला अचार, शतावर अचार, जंगली शहद एवं अन्य उत्पादों को भी लोगों ने काफी पसंद किया। विभिन्न जिलो से शामिल प्राथमिक वनोपज समितियों के उत्पाद, जंगली जड़ी बूटियाँ, एवं मध्य प्रदेश राज्य बम्बू मिशन के उत्पादों से लोगों की नजर नहीं हट रही है।

 

 

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