देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए वकीलों को आगे आना होगा: आर राजगोपाल

देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए वकीलों को आगे आना होगा: आर राजगोपाल

नई दिल्ली/कोलकाता। हावड़ा में आयोजित ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के 14वें सम्मेलन के दूसरे दिन शुक्रवार को अंग्रेजी दैनिक टेलीग्राफ के संपादक आर राजगोपाल ने संबोधित करते हुए कहा कि देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए वकीलों को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि अगर वकील चुप रहे तो देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर वकील चुप रहे तो इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा।

"सर्विलांस एंड फ्रीडम ऑफ स्पीच" विषय पर आयोजित सेमिनार में राजगोपाल ने कहा कि सर्विलांस की तकनीक हर व्यक्ति को प्रभावित कर रही है। सर्विलांस की तकनीक पत्रकारों को खास तौर पर प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा कि जब पत्रकार सरकारी दफ्तरों में जाते हैं तो उनसे प्रवेश रजिस्टर पर हस्ताक्षर करवाया जाता है। इससे अगर कोई पत्रकार खबर छापता या प्रसारित करता है तो उस रजिस्टर को चेक कर खबर का स्रोत पता किया जा सकता है। इससे पत्रकारों और उसकी खबर के स्रोत को भय होता है कि उसके खिलाफ सरकार कार्रवाई कर सकती है।

राजगोपाल ने कहा कि आधुनिक जांच एजेंसियां हर कोने पर सीसीटीवी कैमरे लगा रही हैं। ये सीसीटीवी कैमरे अपराध और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को रोकने के नाम पर लगाए जा रहे हैं। सवाल यह है कि सीसीटीवी कैमरे जब नहीं थे तो जांच एजेंसियां साक्ष्य कैसे जुटाती थीं। सीसीटीवी कैमरों के नाम पर हर नागरिक की जासूसी की जा रही है।

राजगोपाल ने पेगासस के मामले पर कहा कि इसका इस्तेमाल केवल सरकारें ही कर सकती हैं। ऐसे में उसका इस्तेमाल सरकार के अलावा कौन कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी ने भी कहा था कि इस मामले में सरकार ने कोई सहयोग नहीं किया। सरकार ने भी ये कभी नहीं बताया कि भारत में पेगासस का इस्तेमाल किया गया या नहीं। राजगोपाल ने कहा कि अमेरिका में वाटरगेट मामले में वहां के राष्ट्रपति निक्सन को इस्तीफा देना पड़ा था लेकिन भारत में पेगासस जैसा बड़ा स्कैंडल होने के बावजूद कुछ नहीं हुआ।

राजगोपाल ने कहा कि अगर पत्रकार को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं करने दिया जाए और जजों को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दिया जाए तो इसका मतलब है कि लोकतंत्र को खत्म किया जा रहा है। ऐसे में अगर वकील चुप रहे तो उन्हें इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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