भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है सामा-चकेवा पर्व

भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है सामा-चकेवा पर्व

समस्तीपुर। छठ पर्व संपन्न होने के साथ ही भाई-बहनों के पवित्र प्रेम का लोक पर्व सामा चकेवा शुरू हो गया। इसके लिए समस्तीपुर जिले के विभिन्न चौक-चौराहों पर मूर्तिकारों के पास बहनें सामा चकेवा की मूर्तियां की खरीदारी में जुट गई। सामा-चकेवा मिथिला का प्रसिद्ध लोक पर्व है। यह पर्व प्रकृति प्रेम, पर्यावरण संरक्षण, पक्षियों के प्रति प्रेम व भाई-बहन के परस्पर स्नेह संबंधों का प्रतीक है। भाई-बहन का यह त्योहार सात दिनों तक चलता है।

यह कार्तिक शुक्ल द्वितीया से प्रारंभ और पूर्णिमा की रात तक चलता है। कार्तिक शुक्ल सप्तमी से कार्तिक पूर्णिमा की शाम ढलते ही महिलाएं सामा का विसर्जन करती हैं। इस पर्व को भाई-बहन के प्यार के तौर पर मनाया जाता है। इसको लेकर मूर्तिकारों के द्वारा सामा-चकेवा के साथ सतभैया, चुगला जैसे जुड़ी तमाम मूर्तियों का निर्माण कराया जाता है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि सामा-चकेवा पूरे मिथिला में भाई बहन के प्रेम और सौहार्द का प्रतीक पर्व माना जाता है। इस पर्व में सामा-चकेवा के अलावा कई सारे और भी मूर्तियां बनती हैं, जिसका अपना एक अलग महत्व होता है। उन्होंने बताया कि सामा-चकेवा के अलावा वृंदावन, चुगला, सतभइया, ढका, खटिया, पौउती जैसे मिट्टी की सामग्री बनती है और बहना इसके साथ पूजा करती है।

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