देश के 52वें चीफ जस्टिस बने बीआर गवई

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई शपथ

देश के 52वें चीफ जस्टिस बने बीआर गवई

  • शपथ ग्रहण करने के बाद सबसे पहले उन्होंने अपनी मां के पैर छुए
  •  इस पद पर पहुंचने वाले दलित समुदाय से दूसरे न्यायाधीश
  • शपथ लेने के बाद गवई ने गांधी और अंबेडकर को दी श्रद्धांजलि
  • इनका कार्यकाल 23 नवंबर को खत्म होगा

नई दिल्ली।  न्यायमूर्ति बी आर गवई ने बुधवार को यहां उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वह इस वर्ष 23 नवंबर तक इस पद पर रहेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलायी। उन्होंने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लिया है जो कल मुख्य न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त हो गये। शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, जे पी नड्डा, अर्जुन राम मेघवाल, निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीश और कुछ पूर्व न्यायाधीश समेत कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। इस अवसर पर न्यायमूर्ति गवई की पत्नी, मां तथा परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे। शपथ ग्रहण करने के बाद सबसे पहले उन्होंने अपनी मां के पैर छुए।

गौरतलब है कि न्यायमूर्ति खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी के तौर पर न्यायमूर्ति गवई को मुख्य न्यायाधीश बनाने की सरकार से सिफारिश की थी। न्यायमूर्ति गवई को 24 मई, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल है। न्यायमूर्ति गवई का मुख्य न्यायाधीश बनना शीर्ष अदालत के इतिहास में मील का पत्थर माना जा रहा है, क्योंकि वह पूर्व मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन के बाद इस पद पर पहुंचने वाले अनुसूचित जाति समुदाय से दूसरे व्यक्ति हैं। न्यायमूर्ति गवाई जाने -माने राजनीतिज्ञ, प्रमुख अंबेडकरवादी, पूर्व सांसद एवं कई राज्यों के राज्यपाल रह चुके आर एस गवई के पुत्र हैं।

उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से बी.ए., एलएलबी करने के बाद 16 मार्च, 1985 से वकालत शुरू की थी। उन्होंने 1987 से 1990 तक बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्वतंत्र रूप से वकालत की। उसके बाद बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में वकालत की। वह 14 नवंबर, 2003 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश और 12 नवंबर, 2005 को स्थायी न्यायाधीश बने। न्यायमूर्ति गवई ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मुंबई में मुख्य पीठ के साथ-साथ नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में सभी प्रकार के कार्यभार वाली पीठों की अध्यक्षता की है। वह शीर्ष अदालत में कई मामलों में संवैधानिक पीठ का हिस्सा रहे हैं, जिनमें नोटबंदी, अनुच्छेद 370, चुनावी बॉन्ड योजना और अनुसूचित जाति एवं जनजाति श्रेणियों के भीतर उप वर्गीकरण के मामले शामिल थे।

333

उन्होंने अनुसूचित जाति / जनजाति के बीच क्रीमी लेयर शुरू करने की पुरजोर वकालत की थी।चीफ जस्टिस के पद की शपथ लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर महात्मा गांधी और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी।  पिछले छह सालों में जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट में 700 पीठों का हिस्सा रहे हैं। जस्टिस गवई ने करीब 300 फैसले लिखे हैं। इनमें कई संविधान पीठ के फैसले भी शामिल हैं।

About The Author

अपनी टिप्पणियां पोस्ट करें

टिप्पणियां