अनाथ से सनाथ हुआ भारतवर्ष : डाॅ. योगानंद
अयोध्या। जूना अखाड़ा के महंत डॉ. योगानंद गिरि ने कहा कि जैसे बेटे आलिशान महल में हो और मां-बाप टेंट के किसी झोपड़े में हो तो मां-बाप होते हुए भी ऐसी संतान अनाथ ही होती है। ठीक उसी प्रकार हमारे आराध्य रामलला भी टेंट में विराज रहे थे तो ऐसी स्थिति में उनके होते हुए भी हम अनाथ जैसे ही थे। वास्तविक रूप से आज हम सभी और पूरा भारतवर्ष सनाथ हो गया है।
महंतश्री ने कहा कि पांच सौ वर्षों से राम मंदिर के लिए अनवरत संघर्ष करने वाले महान तपस्वी राष्ट्रधर्म योद्धाओं को देशवासी कभी नहीं भूलेंगे। देश आज उन्हें स्मरण कर रहा है। प्रभु श्रीरामचंद्र जी की कृपा के साथ जिन महान आत्माओं के अथक प्रयास और त्याग, समर्पण एवं बलिदान से देश को आज परम सौभाग्यशाली अवसर मिला है, उन सभी महात्माओं और बलिदानियों को ह्रदय से कोटि-कोटि नमन।
उन्होंने कहा कि इस शुभ घड़ी पर एक बहुत ही प्रेरणादायी संघगीत प्रासंगिक लग रहा है, उसकी चार पंक्तियां हैं- नवचैतन्य हिलोरे लेता, जाग उठी है तरुणाई, हिंदू राष्ट्र निज दिव्य रूप में, उठा पुन: ले अंगड़ाई, जाग उठी है तरुणाई... एक अभेद्य अखंड संस्कृति की बहती अमृत धारा, सत्य सनातन धर्म अधिष्ठित, शुभमंगल बेला आई, जाग उठी है तरुणाई... जय श्रीराम।’
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