भागवत कथा में कृष्ण जन्मोत्सव पर थिरके भक्त
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सलेमपुर, देवरिया। दोघड़ा में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। जन्म होते ही भक्त जमकर झूमे। कथा वाचक जगद्गुरू रामानुजाचार्य आचार्य गुप्तेश्वर महाराज ने कहा कि मनुष्य के जीवन में अच्छे व बुरे दिन प्रभु की कृपा से ही आते हैं। कहा कि जिस समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, जेल के ताले टूट गये। पहरेदार सो गये। वासुदेव व देवकी बंधन मुक्त हो गए। प्रभु की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है। कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते हैं। भगवान का जन्म होने के बाद वासुदेव ने भरी जमुना नदी को पार करके उन्हें गोकुल पहुंचा दिया। वहां से वह यशोदा के यहां पैदा हुई शक्तिरूपा बेटी को लेकर चले आये।
कृष्ण जन्मोत्सव पर नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गीत पर भक्त जमकर झूमे। आगे कहा कि कंस ने वासुदेव के हाथ से कन्य रूपी शक्तिरूपा को छीनकर जमीन पर पटकना चाहा तो वह कन्या राजा कंस के हाथ से छूटकर आसमान में चली गई। शक्ति रूप में प्रकट होकर आकाशवाणी करने लगी कि कंस, तेरा वध करने वाला पैदा हो चुका है भयभीत कंस खीजता हुआ अपने महल की ओर लौट गया।इस अवसर पर मुख्य यजमान काशीनाथ मिश्र,विद्याशंकर मिश्र,गुलाब देवी,अमृता मिश्रा, रविशंकर मिश्र,अजय दूबे वत्स,अखिलेश मिश्र,श्रीप्रकाश मिश्र,कमलेश मिश्र,अभिषेक मिश्र,कुंवर मिश्र,नरसिंह गिरी, राजेश दूबे, रामाश्रय शुक्ल,अरविंद दूबे इत्यादि मौजूद रहे।
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