**एक परिवार गजब का समन्वय..एकाकी परिवारों के लिए नजीर है दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव 'बाबू जी' का परिवार* ...
विश्व परिवार दिवस 15 मई पर विशेष....*
एक ही छत के नीचे रहता है 24 लोगों का परिवार ..,अफसर होने के बाद भी बहुए ही बनाती हैं खाना.....समाज उत्थान और कल्याण के लिए सभी लड़के व उनके बच्चो की गजब की सहभागिता रहती है...
×गोरखपुर,कहते हैं जहां दो बर्तन रहते हैं और टकराते ही हैं इसी तरह बड़े परिवार में भी एक साथ रह रहे लोगों के बीच छोटी-छोटी बातों पर टकराव ,बाद में परिवार के विघटन का कारण बनता है लेकिन शहर में एक ऐसा प्रतिष्ठित परिवार भी है जिसमें 24 लोग एक ही साथ एक ही छत के नीचे वर्षों से रह रहे हैं और उनमें न तो मतभेद है और ना ही मनभेद परिवार में कोई डॉक्टर है तो कोई इंजीनियर कोई टीचर, लेकिन इनके किचन के बर्तनों में टकराने की आवाज नहीं निकलती यह प्रतिष्ठित परिवार श्री दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव का ।
बाबूजी का संस्कारों से ओतप्रोत इस परिवार के सभी सदस्यों की एक साथ रहता देख सभी हैरान रह जाते हैं गोलघर काली जी
मंदिर के पीछे जटेपुर दक्षिणी मोहल्ले, में रहने वाले रेलवे से सेवानिवृत्त वाणिज्य अधीक्षक दुर्गा प्रसाद ने परिवार की एकता की ऐसे सूत्र में पिरो दिया है कि लोग इनकी नजीर देते हैं दुर्गा प्रसाद के छह बेटे और 6 बेटियां हैं सभी बेटी और सभी बेटों की शादी हो चुकी है ,उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले इस परिवार की बहू में भी उच्च शिक्षित और नौकरी में हैं।
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बहुओं के हवाले किचन....
परिवार की सभी बहुए ही किचन का काम करती हैं सुबह समय से ब्रेकफास्ट लंच डिनर और दिन भर आने वाले मेहमानों के स्वागत में बहुएं पूरी तरह तत्पर रहती हैं दुर्गा प्रसाद ने अपनी बेटियों का रिश्ता भी जहा किया है वहां भी सब लोग एक संयुक्त परिवार की अवधारणा की को जीवित किए हुए हैं।
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सभी जिम्मेदारी उठाने को तैयार....*
दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव के बेटे *इंजीनियर प्रदीप कुमार श्रीवास्तव* (प्रिंसीपल, सेकंड हैंड टेलीकॉम ट्रेंनिंग स्कूल ,रेलवे हेडक्वार्टर गोरखपुर) और *डॉ.मनोज कुमार श्रीवास्तव* (विभागाध्यक्ष शिक्षा शास्त्र सेंट एंड्रयूज पीजी कॉलेज) कहते हैं कि हम छ: भाइयों में यदि दो-तीन दिन लोग किसी काम से बाहर भी रहते हैं तो हर काम सामान्य दिनों की तरह ही चलता रहता है बच्चों की स्कूल ले जाने ,ले आने और अन्य कार्यों के लिए कोई भी भाई या उनकी पत्नी दूसरों का मुंह नहीं देखते हैं जिसके सामने जो भी काम दिख गया वह खुद उसे पूरा करने में जुट जाता है।
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**संयुक्त परिवार में फायदा ज्यादा...*
*इंजीनियर रंजीत कुमार श्रीवास्तव* (रेलवे एक्टिविस्ट) *इंजिनियर संजीत कुमार श्रीवास्तव* (प्रसिद्ध उद्यमी), मंजीत कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि संयुक्त परिवार में फायदा बहुत ज्यादा है जो लोग इसे समस्या बता कर खुद को अलग अलग कर लेते हैं वह हमेशा परेशान रहते हैं संयुक्त परिवार में सुरक्षा तो रहती ही है कोई सदस्य एकाकीपन का शिकार नहीं होता बड़ी से बड़ी समस्या सब मिलकर चुटकी में हल कर लेते हैं।
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**बड़े पुत्र लोकप्रिय समाजसेवी और राजनेता रह चुके है स्व. डॉ अशोक श्रीवास्तव जी...*
दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव के बड़े बेटे *स्वर्गीय* *डॉ.* अशोक कुमार श्रीवास्तव* लोकप्रिय समाजसेवी व राजनेता व गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं ,पिता के नक्शे कदम पर परिवार के सबसे बड़े बेटे होने के कारण छोटे भाइयों को वह पिता जैसा ही स्नेह देते थे उनकी पत्नी डॉ किरण श्रीवास्तव पूरे परिवार को एक साथ लेकर चलती हैं परिवार में इस समय 24 सदस्य हैं डॉक्टर मनोज कुमार की पत्नी डॉ विभा श्रीवास्तव अवसर हैं लेकिन परिवार में वह वह बहू , पत्नी और मां की जिम्मेदारी का निर्वहन करती हैं कि कोई देख कर नहीं कर सकता कि वह एक अफसर हैं।
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*बच्चों में उच्च शिक्षा के साथ-साथ गजब का संस्कार ...
दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव के पौत्र पौत्रियो जो सबसे बड़े पौत्र इंजीनियर अनुभव कुमार श्रीवास्तव जो रेलवे के रेलटेल में इंजीनियर के पद पर हैं इसी क्रम में दूसरे पौत्र *इंजीनियर प्रखर श्रीवास्तव* जो एनआईआईटी, चंडीगढ़ के गोल्ड मेडलिस्ट छात्र थे अब ये सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे है,डा प्रिथिका *केजीएमसी* , लखनऊ की चौथे वर्ष की मेडिकल की होनहार छात्रा है,बड़ी पौत्री भावना की शादी हो चुकी है, डॉ प्रीथीका, अन्वेशा ,अंशिका मांगीरिश बाबू, मानित बाबू हैं इसमें आपस में बहुत ही अच्छा तालमेल व संस्कार युक्त हैं
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**सोशल* *मीडिया* सिर्फ काम भर का....
दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव के परिवार की महिलाएं और बच्चे उन परिवारों की तरह हमेशा सोशल मीडिया में नहीं चिपके रहते सोशल मीडिया का उपयोग सिर्फ काम के लिए होता है परिवार की की अर्चना श्रीवास्तव ,निवेदिता श्रीवास्तव, स्मिता श्रीवास्तव और मनीषा श्रीवास्तव कहती है कि सोशल मीडिया का उपयोग वही तक होना चाहिए जहां तक अच्छी जानकारी मिल सके, फालतू की बातों के लिए सोशल मीडिया में चिपके रहने से समय बर्बाद होता है।
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