एम्स गोरखपुर,अब हेपेटाइटिस से ग्रसित मरीजों का दूरबीन विधि से होगा ऑपरेशन
गोरखपुर,एम्स गोरखपुर में एक 30 वर्षीय महिला की लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी सर्जरी की गई, जो हेपेटाइटिस बी से पीड़ित है ।शहर में सेरोपोसिटिव रोगियों के लिए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें कई अस्पतालों से एसजीपीजीआई और केजीएमयू जाने की सलाह दी गई थी ।लेकिन एम्स गोरखपुर में इस प्रकार के मरीजों का लेप्रोस्कोपिक तकनीक से ऑपरेशन करने की सभी सुविधाएं मौजूद हैं। आमतौर पर गोरखपुर के क़रीब क़रीब सभी अस्पताल इस प्रकार के मरीजों के लिए ओपन सर्जरी करते हैं, लेकिन यह मरीज जो पित्त की थैली की पथरी से पीड़ित थी और कई बार बीमारी के गंभीर दौरे भी पड़ चुके थे इस वजह से चीरे वाले ऑपरेशन से बहुत डरी हुई थी वैसे भी दूरबीन वाला ऑपरेशन चीरे वाले ऑपरेशन से काफ़ी बेहतर होता है जो की कई सारी रिसर्च में साबित हो चुका है ।एम्स में माननीय कार्यकारी निदेशक डॉ. जीके पाल सर के मार्गदर्शन में एवम् सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ.गौरव गुप्ता के सहयोग से सर्जिकल टीम जिसमे एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मुकुल सिंह, डॉ. राजकुमार (सीनियर रेजिडेंट) और डॉ. ऐश्वर्या (एकेडमिक जेआर) और एनेस्थीसिया टीम में डॉ. प्रियंका द्विवेदी ( एसोसियेट प्रोफेसर )सीनियर रेजिडेंट डॉ. अंकिता साँखला, डॉ. अभिषेक (एकेडमिक (जेआर) ने मिलकर यूनिवर्सल प्रिकॉशन लेते हुए लेप्रोस्कोपिक तकनीक से सर्जरी सफलतापूर्वक× की और सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी ओपन सर्जरी से कहीं बेहतर है और परिणाम तथा रुग्णता दर के संबंध में रोगी के लिए इसके कई फायदे हैं परंतु हर अस्पताल में प्लाज्मा स्टेरिलाइज़र तथा अन्य उपकरणों के ना होने की वजह से सीरोपॉज़िटिव मरिज़ो को मजबूरी में चीरे वाला ही ऑपरेशन कराना पड़ता है पर एम्स गोरखपुर में ऐसे मरिज़ो के लिये पूरी व्यवस्था है जिसका लाभ अब मरिज़ो को मिलना शुरू हो गया है ।आजकल लैप्रोस्कोपिक सर्जरी संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन सहित पूरी दुनिया में पसंदीदा उपचार है।
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