गर्भवती में एक तिहाई महिलाओं को होता है जेस्टेशनल डायबिटीज

गर्भवती में एक तिहाई महिलाओं को होता है जेस्टेशनल डायबिटीज

लखनऊ। गर्भवतियों में गर्भकालीन डायबिटीज़ यानि जेस्टेशनल डायबिटीज़ का ख़तरा होता है। क्वीन मेरी अस्पताल, केजीएमयू में आने वाली लगभग एक तिहाई महिलाओं में इसकी समस्या देखी जा रही है, जिससे कि गर्भ में पल रहे शिशु और माँ दोनों को ख़तरा होता है। ये कहना है क्वीनमेरी अस्पताल, केजीएमयू की विभागाध्यक्ष डॉ.अंजू अग्रवाल का।
 
वह बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कई तरह के बदलाव होते है,जिसमें एक खून में शुगर की मात्रा बढ़ना भी है, इस स्थिति को ही जेस्टेशनल डायबिटीज़ कहा जाता है। हालांकि यह महिलाओं में बच्चे के जन्म के बाद खत्म हो जाती है, लेकिन फिर भी लगभग 50 प्रतिशत महिलाओं को भविष्य में डायबिटीज़ होने का ख़तरा रहता है।

क्वीनमेरी अस्पताल में ही प्रसव करा चुकी सीमा गर्भकालीन डायबिटीज़ से ग्रसित थी। सीमा बताती हैं कि वह डॉक्टर के कहे अनुसार समय-समय पर जाँच करा रही थी| पहले तो शुगर का स्तर ठीक था लेकिन सातवां महीना लगते ही खून में शुगर का स्तर बढ़ने लगा, स्तर इतना बढ़ गया कि उन्हें आकस्मिक रूप से अस्पताल में भर्ती कराकर इन्सुलिन लगाया गया। सीमा बताती है कि लगभग हफ्ते भर भर्ती रहने के बाद घर पर भी प्रसव के समय तक हर दिन इन्सुलिन दिया गया,और अंत में ऑपरेशन के माध्यम से प्रसव कराया गया| वहीं लखनऊ निवासी वर्षा पांच माह की गर्भवती हैं, वर्षा को तीसरे माह में जाँच पर पता चला कि उनको शुगर की समस्या हैं। डॉक्टर ने विशेष एहतियात बरतने को बोला है।
 
डॉक्टर के कहे अनुसार अपने खानपान में बदलाव किया है और उसी के अनुसार समय से आयरन और कैल्शियम की गोलियां खा रही हैं, साथ ही नियमित रूप से शुगर ट्रैक भी कर रही हैं| गर्भकालीन डायबिटीज़ के दौरान पेंक्रियाज़ ज्यादा इंसुलिन पैदा करने लगता है, लेकिन इंसुलिन ब्लड शुगर के स्तर को नीचे नहीं ला पाता है। हालांकि इंसुलिन प्लेसेंटा (गर्भनाल) से होकर नही गुजरता, जबकि ग्लूकोज व अन्य पोषक तत्व गुजर जाते हैं। ऐसे में गर्भ में पल रहे बच्चे का भी ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।
 
क्योंकि बच्चे को जरूरत से ज्यादा ऊर्जा मिलने लगती है, जो पीएमएसएमए दिवस और एएनसी क्लीनिकों के माध्यम से ले सकती हैं प्रसवपूर्व देखभाल सेवाये प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस हर महीने की 1, 9, 16 और 24 तारीख को मनाया जाता है। गर्भवती महिलाएं इस दिन अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच करा सकती हैं। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में हर गुरुवार को एएनसी क्लीनिक भी आयोजित किए जाते हैं ताकि घर के पास ही प्रसवपूर्व देखभाल सेवाएं प्रदान की जा सकें।

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