75 एकड़ में बनेगा लखनऊ का पहला बायो-डाइर्विसटी पार्क

सहारा गु्रप को लीज पर दी गई ग्रीन बेल्ट की भूमि एलडीए ने ली वापस

75 एकड़ में बनेगा लखनऊ का पहला बायो-डाइर्विसटी पार्क

  • पहले चरण में 14 करोड़ की लागत से 25 एकड़ में होगा विकसित
  • पार्क ईको-टूरिज्म समेत शैक्षिक दृष्टि से भी अहम होगा: एलडीए वीसी

लखनऊ। एलडीए के गोमती नगर में सहारा ग्रुप से ली गयी 75 एकड़ जमीन पर गोमती बायो-डाइवर्सिटी पार्क विकसित करेगा। यह शहर का पहला बायो-डाइवर्सिटी पार्क होगा। पार्क में पाथ-वे, प्ले-एरिया, वॉच टॉवर के अलावा पक्षियों को आकर्षित करने के लिए वॉटर बॉडी विकसित की जाएगी। साथ ही छा़त्र-छात्राओं को जैव विविधता से रूबरू कराने के लिए नेचुरल इंटरप्रिटेशन सेंटर बनाया जाएगा।

एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार ने बताया कि प्राधिकरण ने सहारा ग्रुप को लीज पर दी गयी ग्रीन बेल्ट की 75 एकड़ जमीन वापस ली है। उक्त जमीन पर कुछ स्थानों पर अवैध अतिक्रमण व कूड़ा डम्प है, जिसे अभियान चलाकर हटाया जा रहा है। यहां दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बने यमुना बायो-डाइवर्सिटी पार्क की तर्ज पर गोमती बायो-डाइवर्सिटी पार्क विकसित किया जाएगा। पार्क के निर्माण के लिए टेंडर कराकर कार्यदायी संस्था का चयन कर लिया गया है। इसी महीने स्थल पर विकास कार्य शुरू करा दिया जाएगा। 

LDA team

उपाध्यक्ष ने बताया कि प्रथम चरण में दयाल पैराडाइज चौराहे से जनेश्वर मिश्र पार्क, गेट नंबर-5 के मध्य लगभग 25 एकड़ क्षेत्रफल में पार्क विकसित किया जाएगा। जिसमें लगभग 14 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसमें बाउन्ड्रीवॉल, पार्किंग, इंट्री गेट, आॅफिस, पाथ-वे, किड्स प्ले-एरिया व वॉच टॉवर आदि बनाये जाएंगे। वीसी प्रथमेश कुमार ने बताया कि गोमती नदी के बेसिन में पाये जाने वाले पौधों की विभिन्न प्रजातियां, जो वर्तमान में विलुप्त होने की कगार पर हैं। उन्हें एकत्रित करते हुए बायो-डाइवर्सिटी पार्क में संरक्षित किया जाएगा। इसके अलावा देसी व प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करने के लिए पार्क में घास एवं झाड़ियों के साथ ही छायादार पेड़ लगाये जाएंगे।  बायो-डाइवर्सिटी पार्क को पक्षियों के प्राकृतिक निवास के लिहाज से तैयार किया जाएगा। इसके लिए जरूरी है कि पक्षियों को यहां हर मौसम में पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध हो। 

इसके लिए पार्क में एक फलदार बाग के साथ ही मेडिसिनल व बटरफ्लाई गार्डेन तैयार कराया जाएगा, जिससे कीट-पतंगे व अन्य छोटे जीव यहां पनप सकेंगे। पार्क में लैंड स्केपिंग का कार्य भी कराया जाएगा, जिनमें घास व हर्ब प्रजाति के पौधे लगाकर नेचुरल लुक दिया जाएगा। पार्क में एनआईसी बनाया जाएगा। सेंटर में फील्ड बायोलॉजिस्ट की तैनाती की जाएगी, जो पार्क में घूमने आने वाले छात्र-छात्राओं को पौधों, पक्षियों, जीव-जंतुओं व कीट-पतंगों आदि की जानकारी देते हुए जैव विविधता से रूबरू कराएंगे। जिससे यह पार्क ईको-टूरिज्म के साथ ही शैक्षिक दृष्टि से भी अहम स्थान साबित होगा।

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