सिर्फ पार्टियों प्रमुखों से मिलेगा चुनाव आयोग

विपक्षी दलों का आरोप, बीजेपी अपने लाभ के लिए राज्य मशीनरी का कर सकती है उपयोग

सिर्फ पार्टियों प्रमुखों से मिलेगा चुनाव आयोग

  • कांग्रेस ने की थी तत्काल बैठक की मांग
  • चुनाव प्राधिकरण अनधिकृत व्यक्तियों की ओर से किए गए अनुरोधों को कर देगा खारिज

नयी दिल्ली। बिहार की मतदाता सूची की विशेष गहन समीक्षा को लेकर मुलाकात के लिए समय मांगने के अनुरोध को लेकर चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है। आयोग ने साफ कर दिया है कि आयोग समीक्षा पर बैठक के अनुरोधों पर केवल राजनीतिक दलों के प्रमुखों से ही बात-चीत करेगा। अधिकारियों के अनुसार, राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले कई व्यक्ति बिहार की मतदाता सूची के वर्तमान में चल रही विशेष गहन समीक्षा पर चर्चा करने के लिए आयोग से मुलाकात का समय मांग रहे हैं। 

निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि अब से चुनाव प्राधिकरण अनधिकृत व्यक्तियों की ओर से किए गए ऐसे अनुरोधों को खारिज कर देगा। दरअसल, विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि समीक्षा की इस प्रक्रिया से ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जहां पात्र नागरिक अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। विपक्ष का कहना है कि इसके चलते भाजपा सरकार अपने लाभ के लिए राज्य मशीनरी का उपयोग कर सकती है। बता दें कि चुनाव आयोग की तरफ से घोषणा के बाद बीते 30 जून को कांग्रेस के एक कानूनी प्रतिनिधि ने चुनाव आयोग को एक ई-मेल भेजकर 2 जुलाई को तत्काल बैठक की मांग की थी। यह ई-मेल कांग्रेस की ओर से, विपक्षी गठबंधन के कई दलों की ओर से भेजा गया था। कांग्रेस प्रतिनिधि ने खुद को कई दलों की ओर से अधिकृत प्रतिनिधि बताया था। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि केवल दो दलों, सीपीआई (एमएल) लिबरेशन और सीपीआई (एम) ने अब तक बैठक में अपनी भागीदारी की पुष्टि की है। 

गौरतलब है कि बिहार में चुनाव आयोग की तरफ से मतदाता सूची के विशेष संशोधन अभियान की प्रक्रिया चल रही है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को इस प्रक्रिया को लेकर आपत्तियां और शंकाएं हैं, जिसे लेकर वे चुनाव आयोग से मिलकर अपनी चिंता जताना चाहते थे। आयोग ने कहा है कि वह हमेशा राजनीतिक दलों के प्रमुखों या उनके अधिकृत प्रतिनिधियों से व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक रूप से किसी भी समय आपसी सुविधा के अनुसार मिलने के लिए उपलब्ध है। इस मेल में आयोग के सचिव ने पत्र मेल भेजने वाले को लिखा है कि भविष्य में, राजनीतिक दलों और आयोग के बीच किसी भी अनधिकृत पत्र या संदेश पर रोक लगाने के लिए उसको उस राजनीतिक दल के प्रमुख से वैध प्राधिकरण प्रस्तुत करने की सलाह दी जाती है जिसका वह प्रतिनिधित्व करना चाहता है। 

आयोग के अधिकारियों ने कहा कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण योजनाबद्ध तरीके से और सख्ती से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस बारे में कुछ तत्व तरह तरह की निराधार बातें फैला रहे हैं। लोगों को ऐसी बातों को को नजरअंदाज करना चाहिए। आयोग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार बिहार में मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के काम में 243 निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, 38 जिला निर्वाचन अधिकारियों, 9 संभागीय आयुक्तों और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा लगभग एक लाख प्रशिक्षित बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) और एक लाख से अधिक स्वयंसेवकों को लगाया जा रहा है। इसके अलावा, ईसीआई द्वारा पंजीकृत और मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य राजनीतिक दलों ने प्रत्येक मतदान केंद्र के लिए 1.5 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) लगाए हैं। अभी भी समय है। उन्हें बाद में शिकायत करने के बजाय अभी और बीएलए नियुक्त कर लेने चाहिए। 

आयोग ने इस समीक्षा के लिए बिहार की 2003 की मतदाता सूची को आधार बनाया है जिससे करीब पांच करोड़ मतदाताओं और उनकी संततियों को अलग से कोई दस्तावेज नहीं जमा कराना पड़ेगा। आायोग ने यह भी कहा कि कोई भी वयस्क नागरिक अपने स्थायी निवास स्थान वाले निर्वाचन क्षेत्र में वैध रूप से मतदान करने का पत्र होता है और इस तरह उसका नाम केवल वहां की सूची में ही दर्ज होना चाहिए।

 

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