माइक्रोस्कोपी से फाइलेरिया के मरीज हुए चिन्हित: डॉ. चौधरी
लखनऊ। प्रदेश के तेरह जिलों में संचालित ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे की समीक्षा बैठक बुधवार को लखनऊ के एक होटल में आयोजित की गई। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में एवं सहयोगी संस्था सी-कैंप के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला की अध्यक्षता राज्य फाइलेरिया अधिकारी एवं अपर निदेशक मलेरिया, डॉ. ए.के. चौधरी ने की।
डॉ. चौधरी ने बताया कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के नेतृत्व में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तत्वाधान में वर्ष 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए मई 2025 में 13 जनपदों के 118 ब्लॉकों में टास-1 सर्वे किया गया। इसमें 72 इवैल्यूएशन यूनिट में से 55 सफल रहे, यानी कुल 77 प्रतिशत पास हुए हैं। इन क्षेत्रों में अब 2 साल बाद टास-2 कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि जिन गांवों में नाइट ब्लड सर्वे,टास तथा यूनिफाइड डिजीज सर्विलांस पोर्टल के माध्यम से माइक्रोस्कोप द्वारा अधिक फाइलेरिया के मरीज चिन्हित हुए हैं,वहां एक माह के भीतर फोकस सर्वजन दवा सेवन अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाई जाएगी ताकि संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके।
राज्य फाइलेरिया अधिकारी ने कहा कि टास की प्रक्रिया सफलतापूर्वक करने के लिए आप सभी बधाई के पात्र है। उन्होंने जिला स्तरीय अधिकारियों, स्वास्थ्य कर्मियों, ग्राम प्रधानों, कोटेदारों और अन्य स्थानीय नेतृत्व की भूमिका को महत्वपूर्ण बाते हुए सभी की सराहना की। इसके साथ ही चिन्हित फाइलेरिया मरीजों को उपचार और देखभाल की सेवा सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने बताया कि जौनपुर और बलिया में EU पास होने का प्रतिशत 80 से अधिक रहा, जबकि शाहजहांपुर, बलिया और चित्रकूट का प्रदर्शन औसत से कम रहा।
गेट्स फाउंडेशन के संचारी रोग एवं वैक्सीन डिलीवरी के उप निदेशक डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि जिन में टास-1 पास नहीं हो पाया, उसका एक प्रमुख कारण यह रहा कि वहां सर्वजन दवा सेवन अभियान में लोगों की भागीदारी कम रही।
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