मानव जाति निगल रही ज़हर, वृक्षारोपण विकल्प: डॉ भट्ट
लखनऊ। सभ्यता विकास के हासिये पर जिस तरह से वृक्षों को काटा जा रहा है वस्तुतः यह वृक्ष सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की तरह है जिन्हे मानव समाज विकास अंधता में उनका बलिदान करता जा रहा है। ये बातें कैंसर संस्थान के निदेशक डॉ एम एल बी भट्ट ने कही।
गुरूवार को कल्याण सिंह सुपर स्पेशिलिटी कैंसर संस्थान में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नैशनल मेडिकोज आर्गेनाईजेशन सेवा भारती तथा चिकित्सा सेवा क्षेत्र में कार्यरत अग्रणीय संस्था सम्राट विक्रमदित्य सेवा संस्थान द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे मुख्य अतिथि में संस्थान के डायरेक्टर डॉ एम एल बी भट्ट विशिष्ट अतिथि में रेखा त्रिपाठी निदेशक मेधज़ एस्ट्रो फाउंडेशन,एम एस डॉ वरुण,तथा संस्थान के संस्थान के वित्त अधिकारी उपस्थित रहे।
सम्राट विक्रमदित्य सेवा संस्थान के संगठन महासचिव ओम प्रकाश पाण्डेय एवं अध्यक्ष डॉ नरेंद्र अग्रवाल सहित समस्त अतिथियों ने भारत माता एवं सम्राट विक्रमआदित्य के चित्र पर पुष्पार्चन करके कार्यक्रम की शुरुवात की। डॉ भट्ट ने बताया की इस वर्ष की थीम प्लास्टिक पोलूशन में कमी को ध्यान में रखकर पर्यावरण को सुदृढ़ बनाना है,क्योकि एक किलो प्लास्टिक जलाने से 6 किलो कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन होता है तथा 150 ग्राम माइक्रो पार्टीकल पर्यावरण में पहुंचता है, उन्होंने कहा कि नवजात शिशु का फेफड़ा गुलाबी कलर का रहता है जवान होते होते काला तथा ओल्ड ऐज तक बिलकुल तारकॉल जैसा हो जाता है,पूरी मानव जाति ज़हर निगलने को मजबूर है जिससे निजात पाने को वृक्षारोपण ही विकल्प है।
सेवा संस्थान के सचिव आनन्द पाण्डेय ने सेवा संस्थान के कार्यों का परिचय देते हुए बताया की 10 व्हील चेयर और 5 स्ट्रेचर आज कैंसर संस्थान में दान हुआ है जल्द ही कार्यकर्ताओ द्वारा सेवा केंद्र का संचालन शुरू किया जायेगा
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