नौ जुलाई को करेंगे बिजली निजीकरण के विरोध में हड़ताल
लखनऊ। नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स की राष्ट्रीय कोर कमेटी की सोमवार को दिल्ली में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण का टेंडर होते ही पूरे देश के 27 लाख बिजली कर्मी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करेंगे। कोऑर्डिनेशन कमिटी ने यह भी निर्णय लिया कि उत्तर प्रदेश में चल रहे बिजली के निजीकरण के विरोध में आगामी दो जुलाई को पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
कोऑर्डिनेशन कमेटी ने यह भी निर्णय लिया कि पूरे देश में खासकर उप्र में चल रही बिजली की निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में आगामी नौ जुलाई को देशभर के तमाम बिजली कर्मी निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे। नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स ने केंद्र सरकार से मांग की है कि किसानों, आम घरेलू उपभोक्ताओं और गरीब उपभोक्ताओं के व्यापक हित में केंद्र सरकार तत्काल हस्तक्षेप कर उत्तर प्रदेश में चल रही बिजली की निजीकरण की प्रक्रिया को निरस्त कराए।
लखनऊ में आगामी 22 जून को किसानों, आम घरेलू उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों की हो रही महापंचायत में कोआर्डिनेशन कमेटी के राष्ट्रीय पदाधिकारी सम्मिलित होंगे। 22 जून की महापंचायत बिजली के निजीकरण के विरोध में निर्णायक जन आंदोलन का फैसला लिया जाएगा।
नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स ने निजीकरण के विरोध में 194 दिन से लगातार उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन की सराहना की और पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों, संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं के दमन की निंदा की। यह भी चेतावनी दी गई कि यदि बिजली कर्मियों का दमन न रुका तो देश के तमाम 27 लाख बिजली कर्मी मूक दर्शक नहीं रहेंगे और लोकतांत्रिक ढंग से इसके विरोध में आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की होगी।
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