पहले भर्ती में घोटाला,अब आय से अधिक सम्पत्ति मामले में मुकदमा!

सहकारिता विभाग भर्ती घोटाला का आरोपी है पूर्व अध्यक्ष

पहले भर्ती में घोटाला,अब आय से अधिक सम्पत्ति मामले में मुकदमा!

  • विजिलेंस की जांच में खुलासा हुआ

लखनऊ। प्रदेश में 1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 के बीच सहकारिता विभाग की 7 संस्थाओं में 2,374 पदों पर भर्तियां हुई थीं। जिसमें धांधली की शिकायत पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने 27 अप्रैल 2018 को जांच एसआईटी को सौंपी थी। 25 मई 2021 को एसआईटी ने अलग-अलग 6 मुकदमे पंजीकृत कराये थे। इन 6 में से 5 एफआईआर में सेवा मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव आरोपी बनाए गए थे। अब राम जतन यादव पर विजिलेंस ने शिकंजा कसा है। तत्कालीन अध्यक्ष पर अब आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है।

जानकारी के मुताबिक़ शासन ने सहकारी संस्थागत सेवा मण्डल के सेवानिवृत्त प्रबंध निदेशक एवं अध्यक्ष के खिलाफ विजिलेंस को खुली जांच करने के आदेश दिए थे। विजिलेंस की जांच में पता चला कि नौकरी के दौरान जांच के अवधि निर्धारित की गई। विजिलेंस को पता चला कि निर्धारित की गयी अवधि में अपनी आय के समस्त ज्ञात व वैध स्रोतों से कुल 1,73,71,423/- की आय अर्जित की। 

इस अवधि में रामजतन यादव ने परिसम्पत्तियों के अर्जन एवं भरण-पोषण पर किया गया कुल व्यय 2,00,74,711/- पाया गया। जांच की निर्धारित अवधि में रामजतन यादव ने वैध स्रोतों से अर्जित की गयी अपनी आय के सापेक्ष रू0 27,03,288/- का अधिक खर्च किया। उनकी ज्ञात व वैध स्रोतों से अर्जित आय से अनानुपातिक है।

विजिलेंस ने जब इन खर्चो के बारे में जानकारी ली तो वह इसके बारे में कुछ भी बता पाने में असमर्थ थे। ऐसे में विजिलेंस ने आय से अधिक सम्पत्ति का मामला दर्ज करते हुए मुकदमा दर्ज किया है। रामजतन यादव के खिलाफ  भ्र0नि0 अधिनियम 1988 ( यथा संशोधित 2018 ) धारा 13 ( 1 ) बी सपठित धारा 13(2) के तहत बीते 14 मई 2025 को विजिलेंस के लखनऊ सेक्टर में मुकदमा दर्ज किया है।

यह है सहकारिता विभाग का भर्ती घोटाला
वर्ष 2012 से 2017 के बीच सेवा मंडल द्वारा यूपी कोऑपरेटिव बैंक, ग्राम विकास बैंक, जिला सहकारी बैंक, यूपी कोऑपरेटिव यूनियन और राज्य भंडारण निगम समेत विभिन्न सहकारी संस्थाओं में अलग-अलग पदों पर भर्तियों के लिए 49 विज्ञापन जारी किए गए थे। इनमें से 40 विज्ञापनों की भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई। 9 विज्ञापनों से संबंधित 81 पदों पर भर्ती विभिन्न कारणों से पूरी नहीं हो सकी। कुल विज्ञापित 2343 पदों में से 2324 पदों पर भर्ती पूरी की गई। भर्ती परिणाम सामने आते ही धांधली की शिकायतें आने लगी। अभ्यर्थियों की ज्यादातर शिकायतें जांच में सही पाई गईं। तत्कालीन सरकार ने जांच कराई लेकिन जांच में विभागाध्यक्ष और सरकार को क्लीन चिट दे दी गई। 

एसआईटी ने सहकारिता विभाग की भर्ती घोटाले में कुल 6 एफआईआर दर्ज की थी। इसके साथ ही जांच में विशेष अनुसंधान दल को लगाया था। एसआईटी को कई चौंकाने वाले सुबूत भी मिले थे जांच में पता चला है कि भारतीयों के लिए जिम्मेदार उत्तर प्रदेश सहकारी संस्थागत सेवा मंडल पूरी तरह मनमानी करता रहा और आयुक्त, निबंधक एवं सहकारिता से लेकर शासन तक ने कोई अंकुश नहीं लगाया। 

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