एक ही काम के बदले ज्यादा वेतन देना उचित नहीं : मल्ल
लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में अधिकारियों द्वारा लगातार पेंशन भोगियों को संविदा के आधार पर नियुक्ति दी जा रही है। संस्थान में पहले कोई भी पद प्रतिनियुक्ति तथा रिटायर्ड संविदा पर नहीं भरा जाता था मगर तत्कालीन निदेशक एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा तमाम पदों पर रिटायर्ड लोगों की नियुक्ति का मामला संज्ञान में आया है और इसकी शिकायत सुभासपा श्रम प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल ने मुख्यमंत्री से की है।
वर्तमान सरकार जहां युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने के लिए वचनबद्ध है वहीं यहां के अधिकारी मुख्य सुरक्षा अधिकारी,प्रशासनिक अधिकारी, इंजीनियर , सलाहकार ,पीआरओ , लेखा अधिकारियों की भर्ती की है। इतना ही नहीं चपरासी के पद पर भी रिटायर्ड संविदा की भर्ती की है। संस्थान में जहां आउटसोर्स कर्मियों को 10 हजार से 15 हजार रुपए वेतनमान दिया जाता है वहीं उसी पद पर रिटायर लोगों को 30 से 40 हजार वेतनमान देना सरकारी धन का दुरुपयोग है। संस्थान में उसी पद पर आउटसोर्सिंग कर्मी बेहद कम वेतन पर ही कार्य कर रहे है।
प्रदेश अध्यक्ष मल्ल ने पत्र में कहा है कि भर्ती स्थाई अथवा आउटसोर्सिंग पर ही हो, पेंशन वालो को नौकरी पर रखने में युवा वर्ग का हक मर रहा है और एक ही काम के बदले ज्यादा वेतन देना उचित नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष मल्ल ने मुख्यमंत्री से मांग किया है कि यह सभी नियुक्ति निरस्त कर सभी को कार्यमुक्त किया जाए और युवाओं को ज्यादा से ज्यादा मौका दिया जाय। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी युवाओं के लिए लगातार रोजगार के अवसर प्रदान किए जाने के लिए वचनबद्ध है। उक्त समाचार को अपने दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित करने का कष्ट करें।
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