आश्रय केंद्र में दो और बच्चों की मौत,पेट में मिले 6 इंच के कीड़े मिले
मंगलवार और बुधवार को दो बच्चों की मौत हुई थी,टीबी अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि यहां कुल 6 बच्चे लाए गए थे, सभी की हालत गंभीर थी,पल्स न के बराबर थी
लखनऊ। निर्वाण आश्रय केंद्र में अब तक कुल चार बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें दो बच्चियां हैं। केंद्र के 35 बच्चों को उल्टी-दस्त होने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। 20 बच्चों की हालत अभी भी गंभीर है। बच्चों के बीमार होने की शुरुआती वजह फूड पॉइजनिंग बताई जा रही है। उनको उल्टियां हो रही हैं, जिसमें 6 इंच तक के कीड़े भी निकले। इन कीड़ों के दिमाग तक पहुंचने का डर है। लोकबंधु अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजीव दीक्षित ने बताया कि बच्चों में पानी की कमी थी। सभी में डायरिया के लक्षण मिले हैं।
घटना की जानकारी मिलने के बाद बुधवार रात 8 बजे डीएम विशाख जी लोकबंधु अस्पताल पहुंचे। उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। वहीं, गुरुवार सुबह 9 बजे कमिश्नर रोशन जैकब, प्रमुख सचिव लीना जौहरी और एक बार फिर डीएम लोकबंधु हॉस्पिटल पहुंचे। बच्चों से बातचीत की। कहा, आश्रय केंद्र के पानी की जांच कराई जाएगी। आश्रय केंद्र, लोकबंधु अस्पताल और जिला प्रशासन ने इस घटना को 3 दिन तक छिपाए रखा। एक के बाद चार मौतें हुईं, लेकिन आलाधिकारियों को गुमराह किया गया। यह मामला तब खुलकर सामने आया, जब केजीएमयू में भर्ती एक बच्चे की मौत हो गई। निर्वाण आश्रय केंद्र पारा इलाके के बुद्धेश्वर में बना है। यह सरकार की मदद से पीपीपी मॉडल पर संचालित होता है। मानसिक कमजोर, अनाथ और लावारिस बच्चों को यहां रखा जाता है। अभी यहां 146 बच्चे हैं। ज्यादातर की उम्र 10 से 18 साल के बीच है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा- अब सभी बच्चों की हालत स्थिर है। कुछ को छुट्टी भी दे दी गई है। हम खुद स्थिति पर नजर रख रहे हैं। स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।निर्वाण आश्रय के कर्मचारियों ने बताया कि 23 मार्च की रात खाना खाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। 23 मार्च से 26 मार्च के बीच 35 बच्चों को अलग-अलग अस्पताल ले जाया गया।अगले दिन यानी 24 मार्च को लोकबंधु अस्पताल में एक बच्ची दीपा (15) की मौत हो गई। जबकि बलरामपुर अस्पताल में सूरज (12) और ठाकुरगंज अस्पताल में शिवांक (15) की मौत हुई। हैरानी की बात यह है कि 24 मार्च को 3 बच्चों की मौत के बाद भी आश्रय स्थल का प्रशासन पूरी घटना को दबाए रहा। 26 फरवरी की सुबह रेनू (13) की लोकबंधु अस्पताल में मौत हुई। जबकि गोपाल और लकी नाम के दो बच्चों को गंभीर हालत में केजीएमयू रेफर किया गया। इसके बाद मामला सुर्खियो में आया। ठाकुरगंज टीबी अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि यहां कुल 6 बच्चे लाए गए थे। सभी की हालत गंभीर थी। पल्स न के बराबर थी। बाद में रिकवर किया गया, फिर आश्रय स्थल की रिक्वेस्ट पर 5 बच्चों को लोकबंधु रेफर किया गया। जबकि एक की मौत हो गई। 4 बच्चों को बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां भी एक बच्चे की मौत हुई। 2 बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया है। जबकि एक अभी एडमिट है। लोकबंधु अस्पताल के सीएमएस अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि कुल 25 बच्चों को लाया गया था। इसमें 2 की मौत हो गई। 16 अभी एडमिट हैं। 7 को डिस्चार्ज कर दिया गया है। 4 बच्चों की मौत के बाद निर्वाण आश्रय केंद्र के बदइंतजामी की हकीकत खुल गई। कमिश्नर रोशन जैकब ने कहा कि आश्रय केंद्र के पानी की जांच कराई जाएगी। उन्होंने कहाआश्रय केंद्र यानी रिहैबिलिटेशन सेंटर का कुछ महीने पहले दौरा किया था। तब सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त पाई गई थी। कुछ कमियां थी उनको भी ठीक करने के निर्देश दिए थे। जरूरी बजट भी दिया गया था। कमिश्नर ने कहा है कि नगर निगम, एफएसडीए समेत कई विभागों की टीम को आश्रय सेंटर भेजा गया है। टीमें वहां सभी इंतजाम की जांच करेंगी। वहीं, घटना को छिपाने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि सेंटर ने घटना की जानकारी सही समय पर दी या नहीं, इसकी जांच कराई जा रही है। गुरुवार को विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी भी लोकबंधु अस्पताल पहुंचीं। बच्चों की तबीयत के बारे में डॉक्टरों से बात की। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक दोपहर बाद लोकबंधु अस्पताल पहुंचे। यहां भर्ती बच्चों की तबीयत का हाल जाना। उन्होंने कहा- इलाज का सारा खर्चा सरकार उठाएगी। हमारी पहली प्राथमिकता बच्चों का बेहतर इलाज है। इस मामले की जांच कराई जाएगी। दोषियों के ऊपर सख्त कार्रवाई होगी। इससे पहले कमिश्नर डाॅ. रोशन जैकब और डीएम विशाख जी ने बलरामपुर अस्पताल पहुंचकर बच्चों की तबीयत का हाल जाना। वहीं चिकित्सालय प्रबंधन को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। शाम को राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अर्पणा यादव ने लोकबंधु अस्पताल पहुंचकर बच्चों की तबीयत का हाल जाना।
बच्चों को खिचड़ी और दही दिया था
निर्वाण आश्रय केंद्र में विमंदित बच्चों की देखभाल केयर टेकर करते हैं। सूत्रों ने बताया कि बच्चों को सही समय पर खाना और पानी तक नहीं दिया जाता। सुबह का बचा हुआ भोजन रात में और रात का बचा खाना सुबह दिया जाता है। रविवार यानी 23 मार्च को भी दिन की बची हुई खिचड़ी रात में बच्चों को दही के साथ खाने के लिए दी गई थी। इसके कुछ देर बाद बच्चों को उल्टी-दस्त की शिकायत शुरू हो गई। जिन बच्चों की हालत ज्यादा खराब हुई उनको हॉस्पिटल ले जाया गया। ज्यादा तबीयत बिगड़ने के बाद बाकी बच्चों को अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों का कहना है कि डायरिया या फूड पॉइंजनिंग में बच्चों को सही समय पर ट्रीटमेंट मिल जाता तो जान बचने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। घटना की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी अस्पताल पहुंचे। इन अधिकारियों ने अस्पताल में भर्ती बच्चों से पूछताछ की। अभी कोई भी अधिकारी इस संबंध में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग एवं खाद्य सुरक्षा विभाग की एक टीम ने रिहैब सेंटर पहुंच कर खाने का सैंपल लिया है। डीपीओ विकास सिंह ने बताया की इस रिहैब सेंटर में कुल 146 बच्चे-बच्चियां हैं। रविवार से अचानक एक के बाद एक बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी। कुछ को उल्टी भी हो रही थी। हम डॉक्टरों से संपर्क में हैं। जो बच्चे भर्ती हैं, उनका बेहतर इलाज किया जा रहा है। बच्चों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट में मौत का सही कारण पता चल सकेगा। विभागीय जांच भी कराई जाएगी।
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