कमला नेहरू कॉलेज में बैक पेन प्रिवेंशन पर फिटनेस वर्कशॉप का किया गया आयोजन

कमला नेहरू कॉलेज में बैक पेन प्रिवेंशन पर फिटनेस वर्कशॉप का किया गया आयोजन

कोरबा। कमला नेहरू कॉलेज में आज बैक पेन प्रिवेंशन पर फिटनेस वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप के प्रमुख वक्ता रहे कंसल्टेंट फिजियोथैरेपिस्ट डॉ विवेक अरोरा ने बैक पेन की वजह और उपायों के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि देश में बैक पेन की बढ़ती शिकायतों का प्राथमिक कारण दर्द को नजरंदाज करना है। जब दर्द के साथ मर्ज बढ़ जाता है तब हम किसी अस्पताल या डॉक्टर से मिलने का कष्ट उठाते हैं। अगर वक्त रहते प्रारंभिक स्टेज में ही सजग मरीज बनकर डॉक्टर के पास पहुंच जाएं, तो उस दर्द को जीवनभर सहने की मजबूरी को रोक सकते हैं। दुर्भाग्य से ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं होता।

महाविद्यालय में शनिवार को लगी सेहत की इस पाठशाला में कंसल्टेंट फिजियोथैरेपिस्ट बालको और कोरबा स्पाइन एंड ज्वाइंट सेंटर के संचालक डॉ विवेक अरोरा (बीपीटी, एमपीटी (आर्थो) एफआरसीपीटी, एमआईएपी) ने हेल्थ एंड फिटनेस पर आम जागरूकता के लिए न केवल थ्योरी, बल्कि प्रायोगिक डेमो देकर फिजियोथैरेपी के महत्वपूर्ण टिप्स प्रदान किए। इस दौरान उन्होंने घर में ही अपनाए जाने वाले उन सरल पर महत्वपूर्ण एक्सरसाइज और अन्य शारीरिक गतिविधियों से रूबरू कराया, जिन्हें समय और उम्र रहते अपनी दिनचर्या में शामिल कर अनेक प्रकार के दर्द से राहत की जुगत की जा सकती है।

कमला नेहरू कॉलेज के प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर की पहल पर यह कार्यक्रम कॉलेज के ई क्लास रूम में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में सभी प्राध्यापक, कर्मी और छात्र-छात्राओं समेत महाविद्यालय परिवार के अलावा आस पास के नागरिकों ने भी मौजूदगी दर्ज कराते हुए सेहतमंद शरीर के लिए आवश्यक जानकारियां प्राप्त की। प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर ने महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए डॉ विवेक अरोरा का आभार जताया। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर इन एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में शामिल कर दर्द से राहत और सेहत को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

इस तरह शुरू होता है दर्द फिर बन जाता है रोग
बैक पेन प्रिवेंशन पर अहम बातें साझा करते हुए डॉ विवेक अरोरा ने बताया कि सबसे पहले कर्व खत्म हो जाता है। इसकी वजह से लोड ट्रांसफर मेकेनिक्स बदल जाता है। परिणाम स्वरूप स्पाइन के ज्वाइंट्स पर लोड आने लगता है और फिर धीरे धीरे डीजेनरेशन होने लगता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसी कोई दावा बनी नहीं, जो इस कर्व को अपने आप ठीक कर सके। इस कर्व को सिर्फ एक्सरसाइज और स्टेचिंग से ही ठीक किया जा सकता है। इन एक्सरसाइज की विधियों और सावधानियों के बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ अरोरा ने यह भी ध्यान रखने कहा कि किस स्थिति में उन्हें अपनाया जाना चाहिए और कब नहीं करना चाहिए, ताकि उसके फायदे तो मिलें, पर किसी तरह के साइड इफेक्ट्स से भी बचा जा सके।

 

 

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