कृषि विज्ञान केंद्र पर पाँच दिवसीय प्राकृतिक खेती पर चल रहें प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन

कृषि विज्ञान केंद्र पर पाँच दिवसीय प्राकृतिक खेती पर चल रहें प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन

बस्ती - कृषि विज्ञान केंद्र पर कृषि विभाग द्वारा आयोजित नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग योजना के अंतर्गत पाँच दिवसीय प्राकृतिक खेती पर चल रहें प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस अवसर पर उप निदेशक कृषि अशोक कुमार गौतम ने अपने संबोधन के दौरान कहां कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 20 मई से 24 मई 2025 तक आयोजित किया गया, जिसमें बस्ती जिले के बहादुरपुर, दुबौलिया, कुदरहा विकासखंडों से आए 35 कृषि सखियों ने भाग लिया। उप संभागीय प्रसार अधिकारी हरेंद्र प्रसाद ने बताया कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता कम कर प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित खेती की ओर प्रोत्साहित करना था।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग कर रहे जनपद के प्राकृतिक एवं जैविक खेती के पुरोधा सेवानिवृत कर्नल के सी मिश्रा ने अपने संबोधन में बताया कि प्राकृतिक खेती अपनाकर किस प्रकार शुद्ध, स्वस्थ, उन्नत उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
केंद्र के शस्य वैज्ञानिक हरिओम मिश्रा ने कृषि सखियों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवामृत, बीजामृत व घनजीवामृत का निर्माण व उपयोग प्राकृतिक संसाधनों की निर्माण विधि एवं उनके लाभों पर व्याख्यान दिए और खेत में इनका प्रदर्शन किया गया। केंद्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ प्रेम शंकर ने कहा कि प्राकृतिक खेती आज की आवश्यकता है, जिससे न केवल लागत में कमी आती है, बल्कि पर्यावरण भी संरक्षित रहता है और उपभोक्ताओं को सुरक्षित खाद्य प्राप्त होता है।
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. वी बी सिंह ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर और टिकाऊ खेती की दिशा में एक सशक्त मार्गदर्शन भी प्रदान किया। ऐसे आयोजन ग्रामीण कृषि व्यवस्था को सशक्त बनाने में मील का पत्थर सिद्ध होंगे। केंद्र के वैज्ञानिक आर. बी. सिंह ने कहा कि आप सभी ने इस प्रशिक्षण में जो कुछ सीखा उसको अन्य सखियों में फैलाओ, जिससे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान एवं मास्टर ट्रेनर राजेन्द्र सिंह एवं राममूर्ति मिश्रा, आज्ञाराम वर्मा ने खेती की पारंपरिक तकनीकों के साथ-साथ आधुनिक प्राकृतिक विधियों के समन्वय पर जोर दिया। उन्होंने जीवामृत, घन जीवामृत, ब्रह्मास्त्र जैसे जैविक उत्पादों के निर्माण की विधियों का प्रदर्शन किया और उनके लाभों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन विधियों को अपनाकर बिना रासायनिक खाद एवं कीटनाशक के भी उत्तम फसल प्राप्त की जा सकती है।
गृह विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. अंजली वर्मा ने प्राकृतिक पोषण वाटिका के प्रबंधन विषय पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि पोषण वाटिका के माध्यम से परिवारों की सब्जी एवं पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है। साथ ही उन्होंने प्रतिभागियों को कम लागत में घरेलू स्तर पर जैविक सब्जियों के उत्पादन के उपाय बताए। समापन दिवस पर प्रतिभागी कृषि सखियों को प्रमाण पत्र वितरण किया गया। कृषि सखियों ने प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान को व्यवहार में लाने की प्रतिबद्धता जताई और इस योजना की सराहना की।
इस कार्यक्रम में कृषि विभाग के सहायक विकास अधिकारी कृषि बहादुरपुर दीनानाथ मिश्रा, कृपा शंकर मौर्य एवं वर्मी कंपोस्ट उत्पादक राम शंकर यादव प्रशिक्षण प्राप्त कृषि सखियों भानमती, शीला देवी, सरिता देवी, पुष्पावती, रेनू सिंह, नीरज एवं लता सिंह आदि उपस्थित रहे।

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सर्वेष श्रीवास्तव, उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के ब्यूरो प्रमुख

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