पूरे प्रदेश में हुई गरज के साथ हल्की बूंदाबांदी से गिरा पारा
By Tarunmitra
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लखनऊ। मार्च के दूसरे पखवाड़े के पहले दिन रविवार को प्रदेश के विभिन्न इलाकों में हुई बूंदाबांदी और बादलों की मौजूदगी से अगले दो दिन तक पारे में हल्की गिरावट आने के आसार हैं। सोमवार को सुबह लखनऊ में गरज के साथ छीटें पड़ी। जिसके कारण मौसम में ठंडक बढ़ गई है।
मौसम विभाग के मुताबिक 17 से 20 मार्च तक मौसम शुष्क रहने वाला है। इसके बाद बंगाल की खाड़ी से चली पूर्वा हवा फिर से मौसम में बदलाव लाएगी। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के मुताबिक 21 व 22 मार्च को नमी युक्त पुरवाई के असर से उत्तर प्रदेश के दक्षिण पूर्वी इलाकों सोनभद्र, मिर्जापुर, बलिया व वाराणसी आदि में बूंदाबांदी की संभावना बन रही है। 24 मार्च से फिर से तापमान बढ़ना शुरू होगा। मार्च के आखिर में प्रदेश मेंलू जैसी परिस्थितियां बनने का पूर्वानुमान है।
मौसम के बदले मिजाज
अमेठी में रविवार सुबह अचानक मौसम का मिजाज बदला और बूंदाबांदी शुरू हो गई। दिन भर बादल की लुकाछुपी चलती रही। बदलते मौसम को देख किसानों के मांथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई है। यदि तेज बारिश हुई तो तिलहनी फसल चौपट होने का डर है। वहीं जगदीशपुर, मुसाफिरखाना, संग्रामपुर, गौरीगंज आदि में हल्की बारिश हुई।
बढ़ाई किसानों की परेशानी
जिले में दलहन-तिलहन फसलों के साथ गेंहू की फसल भी पककर तैयार होने की कगार पर है। खेतों में सरसों, अलसी, मटर, चना, धनिया, मेथी आदि फसल पक कर तैयार हो गई है। कुछ किसान उक्त फसलों की कटाई कर लिए हैं, तो कुछ काटकर खेत व खलिहान में रख लिए हैं। वहीं, जौ व गेहूं की फसल भी तकरीबन तैयार है। बागों में लगे आम के पेड़ बौर से लदे हैं। ऐसे में बेमौसम बारिश फसलों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा सकती है।
रविवार भोर बूंदाबांदी देख किसान परेशान हो उठे। किसान खेत व खलिहान में रखी सरसों, मटर आदि की फसल को छायादार स्थान पर सुरक्षित करने की कवायद में जुट गए। अमेठी, जगदीशपुर, मुसाफिरखाना, गौरीगंज सहित अन्य स्थानों में बूंदाबांदी का असर रहा। किसानों का कहना है कि अगर तेज बारिश हुई तो सरसों, मटर आदि फसलों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचेगा। वहीं, बारिश के साथ तेज हवा चली तो गेंहू और अरहर की फसल को भी नुकसान पहुंच सकता है।
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
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