सराज में सदी की सबसे बड़ी आपदा: जल प्रलय ने मचाई तबाही, हवाई सर्वेक्षण की उठने लगी है मांग
मंडी। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय संस्था हिमालय नीति अभियान समिति ने सराज में बारिश से हुई तबाही को सदी की सबसे बड़ी त्रासदी करार दिया है। हिमालय नीति अभयान के संयोजक गुमान सिंह ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज क्षेत्र, विशेष रूप से थुनाग उपमंडल में पहली जुलाई 2025 की रात को हुई प्राकृतिक आपदा ने अभूतपूर्व तबाही मचाई है।
उन्होंने कहा कि कई क्लाउडबर्स्ट और फ्लैश बाढ़ ने इस क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया, जिसे स्थानीय लोग सदी की सबसे भीषण आपदा बता रहे हैं। इससे लगभग 80,000 की आबादी प्रभावित हुई है और सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार थुनाग बाजार में 150 से अधिक मकान और दुकानें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं जबकि उपमंडल में 400 से अधिक मकान आंशिक या पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। आपदा ने थुनाग उपमंडल के साथ-साथ जरोल, देजी पखरैर और पांडवशीला जैसे क्षेत्रों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। जरोल बाजार पूरी तरह बर्बाद हो चुका है और थुनाग में बुनियादी ढांचे को भारी नुक्सान पहुंचा है। सभी सड़कें और पुल ध्वस्त हो गए हैं जिससे क्षेत्र पूरी तरह कट गया है। बिजली और पानी की योजनाएं नष्ट होने से राशन का गंभीर संकट पैदा हो गया है। मोबाइल नेटवर्क ठप होने से सूचनाओं का आदान-प्रदान मुश्किल हो रहा है। अस्पताल, स्कूल, और सरकारी भवन भी आपदा की चपेट में हैं, जिनकी बहाली में महीनों लग सकते हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल एनडीआरएफ, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल एसडीआरएफ, पुलिस, और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू किए। हालांकि, ध्वस्त सड़कों और पुलों के कारण बचाव कार्यों में भारी चुनौतियां हैं। पुलिस टीमें जंजैहली से पांडवशीला तक पहुंची हैं जबकि एसडीआरएफ की टीमें बगस्याड तक पहुंच पाई हैं। थुनाग, सराज में यह आपदा न केवल जीवन और संपत्ति को भारी नुक्सान पहुंचा रही है, बल्कि क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक संरचना को भी ध्वस्त कर रही है। तत्काल हवाई सर्वेक्षण, सेना और एनडीआरएफ की व्यापक सहायता के बिना इस संकट से उबरना मुश्किल होगा।
संयोजक गुमान सिंह और हिमालय नीति के हेम सिंह ने बताया कि स्थानीय निवासियों ने सरकार से तत्काल हवाई सर्वेक्षण और सेना की मदद की अपील की है ताकि नुक्सान का सटीक आकलन और तेजी से राहत कार्य किए जा सकें। मोबाइल नेटवर्क के ठप होने से सूचनाएं एकत्र करना मुश्किल हो रहा है। लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं और राशन संकट गहराता जा रहा है। भारतीय मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में और बारिश की चेतावनी दी है जिससे स्थिति और जटिल हो सकती है।
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