भाई का रिश्ता संपत्ति बांटने के लिए नहीं बल्कि विपत्ति बांटने के लिए होता है:शिवानंद भाई श्री
भरत-राम मिलन के प्रसंग ने भक्ति, प्रेम और धर्म की पराकाष्ठा को किया उजागर
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शिवानंद जी महाराज ने धर्म की सच्ची परिभाषा और भाईचारे की मिसाल से किया भाव-विभोर
यज्ञ में मानव कल्याण और पर्यावरण सुरक्षा के लिए दी गईं आहुतियाँ, ॐ स्वर से गूंजा कथा पंडाल

हरदोई "भगवान जब अति कृपा करते हैं तो मानव शरीर देते हैं इसको धर्मोपयोगी बनाएं।भगवान की महिमा को कथा श्रवण से ही जाना जा सकता है संसार के निमित्त बोलना प्रवृत्ति बन जाती है भगवान के निमित्त बोलना भक्ति बन जाती है,वेद नीति जब धर्मानुसार राजनीति से जुड़ जाती है वह सफल कारी होती है,पिता का जब तक सिर पर हाथ रहता है वह सनाथ है,पिता के न रहने पर वह अनाथ हो जाता है। भाई का रिश्ता संपत्ति बांटने के लिए नहीं बल्कि विपत्ति बांटने के लिए होता है।"उक्त उद्गार अखिल भारतीय श्री राम नाम जागरण मंच के संयोजक पंडित निर्मल शास्त्री और आयोजक राम परिवार मित्र मंडली हरदोई के तत्वावधान में आरआर इंटर कॉलेज के प्रांगण में चल रही 11 दिवसीय श्री राम कथा के नवें दिन प्रवचन करते हुए अयोध्या धाम से पधारे व्यास शिवानंद भाई श्री महाराज ने व्यक्त किए।
आर.आर. इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित 11 दिवसीय श्रीराम कथा एवं पर्यावरण सुरक्षा यज्ञ महोत्सव के नवम दिवस की शुरुआत मानव कल्याण और पर्यावरण रक्षा की मंगल कामना के साथ यज्ञ में आहुतियाँ अखिल भारतीय श्रीराम नाम जागरण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्मल शास्त्री के श्रीमुख से सम्पन्न कराई गईं।
दिन भर की श्रद्धा, साधना और कथा श्रवण में प्रेम, भक्ति और धर्म की गहराई को अनुभूत किया गया। प्रातःकालीन यज्ञ से लेकर संध्या बेला की श्रीराम कथा तक, हर क्षण जनमानस के हृदय में आध्यात्मिक भावों की बौछार करता रहा। यज्ञ में आरआर इंटर कॉलेज की प्रबंधिका श्रीमती कीर्ति सिंह,पत्रकार अखिलेश सिंह और उनकी धर्म पत्नी पूर्णिमा सिंह ने आहुतियां डालीं।
संध्या बेला में जब वृंदावन धाम से पधारे प्रख्यात कथा व्यास शिवानंद जी महाराज ने नवम दिवस की कथा में रामजी के वनगमन के पश्चात भरत मिलाप का प्रसंग सुनाया गया। शिवानंद महाराज ने बताया कि राम-भारत मिलन भारतीय संस्कृति में प्रेम, त्याग और धर्म के अद्वितीय उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि धर्म का स्वरूप वही है जो लोकहित में हो। आज का समाज धर्म को अपने अनुसार परिभाषित कर रहा है, जबकि सच्चा धर्म वही है जिसमें दूसरों का अहित न हो।
कथा के दौरान उन्होंने कहा, “जब कोई अच्छा व्यक्ति अधर्म करता है तो धर्म रोता है।” उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब राम पैदल वन गमन करते हैं और भरत को ज्ञात होता है तो वे रथ छोड़कर पैदल चल पड़ते हैं—यह है सच्चा त्याग और प्रेम। प्रयागराज पहुंचकर जब भरत जी से प्रयागराज ने कहा कि मांगो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ,तो वे कहते हैं, “मुझे किसी की आवश्यकता नहीं, मैं सब कुछ त्याग कर आया हूँ।”
भावनाओं का चरमोत्कर्ष तब देखने को मिला जब व्यासपीठ से शिवानंद जी महाराज ने भावपूर्ण भजन “मैया तूने का ठानी…” सुनाया। कथा पंडाल में मौजूद हर राम भक्त की आंखें नम हो गईं। जैसे ही भजन “राम जैसा नगीना नहीं,शुरू हुआ, सारा पंडाल राम भक्ति में झूम उठा।
महाराज श्री ने चित्रकूट के विविध प्रसंगों को भी कथा में स्थान दिया, जिससे कथा प्रेमियों को मर्यादा, करुणा और जीवन के आध्यात्मिक उद्देश्य की नई अनुभूति प्राप्त हुई। श्रीराम कथा का नवम दिवस धर्म, भक्ति और भाव की त्रिवेणी में स्नान जैसा बन गया।
श्री राम कथा के नवम दिवस की कथा में श्रद्धालुओं के लिए अन्न क्षेत्र की व्यवस्था अर्चना कपूर अतुल ज्वेलर्स द्वारा की गई।
आज की आरती में माधवेंद्र प्रताप सिंह रानू विधायक,श्री मती कीर्ति सिंह,रजनीश त्रिपाठी प्रतिनिधि विधायक रानू,भाजपा नेता,पारुल दीक्षित,त्रिपुरेश मिश्रा,मनोज मिश्रा,विहिप जिला कोषाध्यक्ष कैलाश गुप्ता,आशीष गुप्ता,राघवेंद्र शर्मा,अपूर्व माहेश्वरी, हिमांशु गुप्ता,अजीत दीक्षित,सौरभ सिंह,हिमांशु गुप्ता पेशकार आदि रहे।
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