भारत का खुद का होगा ब्राउजर, गूगल-माइक्रोसॉफ्ट पर नहीं रहेंगे डिपेंड

भारत का खुद का होगा ब्राउजर, गूगल-माइक्रोसॉफ्ट पर नहीं रहेंगे डिपेंड

नई दिल्ली। भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में गूगल क्रोम, माइक्रासॉफ्ट एज और मोजिला फायरफॉक्स जैसे बाउजर्स का सिक्का चलता है. अब भारत अपना खुद ब्राउजर बनाने की तैयारी कर रहा है. भारत जैसे 140 करोड़ की आबादी वाले देश में अगर खुद का ब्राउजर होगा तो गूगल और माइक्रोसाफ्ट कंपनियों के लिए बड़ा झटका है. लेकिन भारत सरकार देश की आईटी कंपनियों को खुद का ब्राउजर बनाने के संकेत दे दिए हैं. यहां तक कि सरकार देश के कई स्टार्टअप्स और आईटी कंपनियों को ब्राउजर विकसित करने का कंप्टीशन भी आयोजित किया. जिसमें तीन बेहतरीन कंपनियों को शॉर्ट लिस्ट भी किया गया. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर वो कौन सी तीन कंपनियां है, जिन्हें बेस्ट ब्राउजर मेकर का अवॉर्ड मिला.
 
58 कंपनियों में 3 कंपनियां बनीं विनर
भारत में 282 बिलियन डॉलर से ज़्यादा रेवेन्यू के साथ एक मजबूत आईटी सेक्टर है. अब तक सेवाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है. भारत सरकार सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट विकसित करने के लिए स्टार्ट-अप, शिक्षाविदों को बढ़ावा दे रही है. इसका लक्ष्य भारत को एक उत्पाद राष्ट्र के रूप में विकसित करना है. सरकार ने स्वदेशी ब्राउजर विकसित करने की चुनौती दी. शिक्षाविदों, स्टार्टअप्स, छात्रों, शोधकर्ताओं ने उत्साहपूर्वक प्रतिक्रिया दी. कुल 58 एंट्रीज हुईं. गहन मूल्यांकन प्रक्रिया के बाद, 3 विजेताओं को शॉर्ट लिस्ट किया गया.
 
इनको मिले पुरस्कार
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज वेब ब्राउजर चुनौती के विजेताओं की घोषणा की. जिसमें पहला पुरस्कार टीम ज़ोहो दिया गया. पुरुस्कार के रूप में जोहो को एक करोड़ रुपए की राशि दी गई. दूसरा पुरुस्कार पिंग को मिला और 75 लाख रुपए की इनामी राशि दी गई. तीसरा पुरस्कार टीम अजना को मिला और उन्हें 50 लाख रुपए इनाम में दिए गए. उन्होंने कहा कि यह देखकर खुशी हुई कि विजेता टियर 2 और टियर 3 शहरों से आ रहे हैं. ब्राउजर इंटरनेट का प्रवेश द्वार है. सर्फिंग, ईमेल, ई-ऑफिस, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन आदि ज्यादातर ब्राउज़र पर ही होते हैं. ब्राउज़र विकसित करना जल्द ही संपूर्ण भारतीय कंक्रीट स्टैक के निर्माण की दिशा में पहला ठोस कदम है.
 
भारत के अपने ब्राउजर के फायदे
देश का खुद का ब्राउजर होगा तो उसके कई फायदे हो सकते हैं. पहला और सबसे बड़ा फायदा डेटा सिक्योरिटी का होगा. इसमें देश का डेटा देश में ही होगा और देश की सरकार की देखरेख में होगा. दूसरा सबसे बड़ा फायदा गोपनीयता का है जो डेटा सुरक्षा अधिनियम के अनुरूप होगा. भारतीय नागरिकों का डेटा केवल भारत में ही रहेगा. यह ब्राउज़र iOS, Windows और Android के साथ संगत होगा. अब आप समझ सकते हैं कि अगर भारत का खुद का ब्राउजर होगा तो उसके कितने और किस तरह के फायदे हो सकते हैं.
 

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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है। 

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