रंग ला रही है शिक्षक राकेश की पहल, बदल रही है विद्यालय की सूरत
बस्ती - शिक्षक ठान लें तो परिषदीय विद्यालयों की सूरत बदलते देर नहीं लगेगी। सल्टौवा विकास खण्ड के कंपोजिट विद्यालय नेवादा के शिक्षक राकेश कुमार पाण्डेय की पहल रंग ला रही है।विद्यालयों में हो रहा परिवर्तन केवल दीवारों की रंगाई या स्कूलों की सजावट भर नहीं है, यह बच्चों के भविष्य को रचने वाली वह मजबूत नींव है जिसे ऐसे शिक्षक अपने पसीने, समर्पण और नवाचार से दिन-रात गढ़ रहे हैं।
आज जब देश शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए प्रयासरत है, तब बस्ती जनपद में राकेश कुमार पाण्डेय जैसे शिक्षक मिसाल बनकर सामने आ रहे हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि यदि संकल्प हो, तो सरकारी स्कूल भी निजी संस्थानों को चुनौती दे सकते हैं।
हर सुबह ‘शिक्षा संकल्प रैली’ से गाँव के गलियों में गूंजता है ‘शिक्षा है अनमोल रतन, इससे बढ़कर नहीं कोई धन।’ छात्र-छात्राओं की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु 100 प्रतिशत उपस्थिति प्रमाण पत्र, ‘प्रतिभा सम्मान, जैसे नवाचार किए जा रहे हैं।
जहाँ पहले बच्चे स्कूल आने से कतराते थे, अब वे खुद अभिभावकों को स्कूल पहुँचने की जल्दी मचाते हैं। माता-पिता भी विद्यालय में होने वाले बदलाव से भावुक हैं। उनका कहना हैकृ“अब हमें निजी स्कूल की चिंता नहीं, हमारा बच्चा सरकारी स्कूल में ही बेहतर सीख रहा है।”
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अनूप कुमार तिवारी ने बताया कि शिक्षक राकेश कुमार पाण्डेय द्वारा किया जा रहा प्रयास सराहनीय है और उन शिक्षकों के लिए अनुकरणीय भी जिन्हें इस तरह की विशेष स्टेट जी करके अपने भी विद्यालयों में बदलाव करना चाहिए “यह बदलाव किसी योजना मात्र का परिणाम नहीं, यह उन शिक्षकों की तपस्या है जो अपने विद्यार्थियों को भारत का भविष्य मानकर निःस्वार्थ भाव से जुटे हैं। बस्ती जिला शिक्षा का रोल मॉडल बनकर उभर रहा है।”
कई स्कूलों में पहले 50 से भी कम नामांकन थे, अब वही स्कूल 100़ बच्चों से गूंज रहे हैं। उपस्थिति औसत 90ः पार कर गई है। इसके पीछे स्कूल परिवार का अथक प्रयास, शिक्षकों की रचनात्मकता और जनभागीदारी है। विद्यालय के इंचार्ज प्रधानाध्यापक विजय मिश्रा सोमनाथ गुप्ता राम प्रकाश शुक्ला दयाशंकर पटेल सहायक अध्यापक के अभिनव प्रयास का फल है कि सल्टौवा विकास खण्ड के कंपोजिट विद्यालय नेवादा की सूरत लगातार बदल रही है।
About The Author

टिप्पणियां