सीपीआर के रूप में जीवन रक्षक उपाय शुरू

आवास एवं विकास परिषद भवन में सीपीआर कार्यशाला

सीपीआर के रूप में जीवन रक्षक उपाय शुरू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद भवन में हुए अचानक हृदयाघात जागरूकता और सीपीआर कार्यशाला के पश्चात बुधवार को विकास परिषद भवन में एक स्वचालित बाह्य डिफाइब्रिलेटर (ए.ई.डी.) स्थापित किया गया। यह कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन सीखने के अलावा अचानक हृदयाघात के पीड़ितों को बचाने की तकनीक का एक अभिन्न अंग है।

इस अवसर पर बोलते हुए संजय गांधी पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आदित्य कपूर ने कहा कि एससीए किसी को भी, कभी भी और कहीं भी हो सकता है और हमारे देश में एससीए के कारण लगभग 6-7 लाख लोगों की घर पर या सार्वजनिक स्थानों पर अचानक ही मृत्यु हो जाती हैं।

प्रोफेसर आदित्य के मुताबिक,तत्काल सहायता (पहले तीन मिनट के भीतर) के बिना पीड़ित के बचने की संभावना लगभग शून्य होती है। हालांकि एससीए पीड़ितों को वहां पर विद्यमान लोगों द्वारा बचाया जा सकता है, लेकिन ऐसे पीड़ितों की जान नहीं बच पाती क्योंकि ऐसी आपात स्थितियों से निपटने के बारे में लोगों में जागरूकता और जानकारी बहुत कम है। घटनास्थल पर उपस्थित लोगों द्वारा कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) के रूप में जीवन रक्षक उपाय शुरू करने में हर एक मिनट की देरी से बचने की संभावना दस प्रतिशत कम हो जाती है।

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