ठगी मामले में फ्लिपकार्ट कर्मचारी राजस्थान से गिरफ्तार

ठगी मामले में फ्लिपकार्ट कर्मचारी राजस्थान से गिरफ्तार

लखनऊ। राजधानी पुलिस ने एक करोड़ की ठगी करने वाला फ्लिपकार्ट कर्मचारी को राजस्थान से गिरफ्तार किया। आरोपी ने कंपनी के सिस्टम का इस्तेमाल कर ऑर्डर में हेरफेर कर ब्रोकर के जरिए नेपाल और दूसरी जगहों पर 149 महंगे मोबाइल सेट बिकवाए थे। एजिस कस्टमर सपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी विकास अहलावत ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि फ्लिपकार्ट की वेंडर कंपनी स्टार टेक से एक करोड़ की ठगी हुई है।

जानकारी के मुताबिक कर्मचारी राहुल जोनवाल ने कंपनी सिस्टम का इस्तेमाल करके महंगे मोबाइल फोन परिचितों से ऑर्डर कराए। इसके बाद ऑर्डर कैंसिल करके लाखों रुपए गबन कर लिए। इंस्पेक्टर बृजेश यादव ने राजस्थान के अजमेर से राहुल को गिरफ्तार किया। पुलिस आंध्र प्रदेश के कुरनूल निवासी शेख अब्दुल खादर जिलानी पुत्र मोहम्मद शरीफ और पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना तिलजला निवासी तस्सरुन नाजरीन की तलाश कर रही है। पूछताछ में पता चला कि राहुल स्टार टेक कंपनी में कस्टमर सपोर्ट एक्जीक्यूटिव के पद पर वर्क फ्रॉम होम के तहत काम कर रहा था। कंपनी ने काम करने के लिए दो पोर्टल दिए थे। जिसमे एक फ्लिपकार्ट स्मार्ट असिस्ट और दूसरा ई-कार्ट कंसोल के नाम से था। स्मार्ट असिस्ट पर कस्टमर सपोर्ट के लिए कस्टमरों की कॉल आती थी। जिसमें उनकी ऑर्डर हिस्ट्री, पैमेंट डिटेल, प्रोडक्ट रिटर्न और केंसिल की डिटेल दिखाई देती थी। जिससे कस्टमरों की समस्या का समाधान किया जाता था।

 दूसरा पोर्टल ई-कार्ट कंसोल था। जिस पर डिलीवरी से सम्बन्धित जानकारी होती थी। इस पोर्टल के डेशबोर्ड में आरटीओ (रिटर्न टू ऑरिजन) का ऑप्शन होता था। जिससे ऑर्डर कैंसिल किया जा सकता था। ई-कार्ट कंसोल का गलत इस्तेमाल करके राहुल ने अपने साथियों के साथ मिलकर जून से अगस्त 2024 के बीच अलग-अलग फ्लिपकार्ट अकाउंट से ऑर्डर कराए। जिस दिन ऑर्डर किया प्रोडक्ट डिलीवरी के लिए निकलता था। उस दिन ऑर्डर आईडी के जरिए ई-कार्ट कंसोल पर आरटीओ मार्क कर देता था। 

आरटीओ का स्टेटस को अपडेट होने में 24 घंटे लग जाते थे। जिससे प्रोडक्ट डिलीवर भी हो जाता था और प्रोडक्ट का पैसा भी रिफंड हो जाता। इसी तरह से राहुल ने लगभग 1 करोड़ के 149 मोबाइल आईफोन, सैमसंग के प्रीमियम फोन, टेब, लैपटॉप और अन्य प्रोडक्ट मंगाए और उन्हें लोकल मार्केट में ब्रोकर की मदद से बेचे। इसके अलावा कुछ मोबाइल डीलरों के जरिए नेपाल भिजवा दिए।

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