प्रदेश को एनीमिया मुक्त बनाने पर विशेषज्ञों ने किया मंथन
एनएमआर और आईएमआर की उपलब्धियों का रिकॉर्ड किया पेश
- कार्यशाला में कुपोषण संबधित मुद्दों पर की गहन चर्चा
लखनऊ। प्रदेश को एनीमिया मुक्त बनाने की पहल शुरू हो गयी है। गुरूवार को परिवार कल्याण निदेशालय के दिशा निर्देशन में पौथ द्वारा एनीमिया मुक्त विषय पर कार्यशाला की गयी। जिसमें एनीमिया मुक्त भारत पहल को सुदृढ़ करने के ठोस प्रयास को सफल बनाने के लिए एनीमिया विषय पर मंथन किया गया। इसमें चुनौतियों का समाधान करने और राज्य में एनीमिया मुक्त भारत पहल, रणनीति बनाने के लिए प्रमुख हितधारकों को एक मंच पर लाया गया।
विशेषज्ञों ने उपलब्धियों की जानकारी साझा करते हुए कहा कि एनीमिया और कुपोषण गहरे पोषण संबंधी मुद्दों की अभिव्यक्ति के रूप में काम करते हैं। पिछले एक दशक में उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के उद्देश्यों के अनुरूप नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) और शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) को कम करने में सराहनीय प्रगति की है। जिसमें आईएमआर प्रति एक हजार शिशुओं पर 73 (एनएफएचएस) से गिरकर 50.4 (एनएफएचएस हो गया है। प्रदेश में एनीमिया और कुपोषण से मातृ मृत्यु दर कम करने में सफलता हासिल की है।
वहीं ज्योति गौतम उप निदेशक आईसीडीएस निदेशालय, संजीव कुमार, आरएमओ, निदेशालय खाद्य एवं रसद विभाग, अपर्णा यू आईएएस, सचिव, बेसिक शिक्षा एएमबी कार्यक्रम का परिचय देते हुए डॉ. अमित सिंह जेडी प्रशिक्षण ने पहल के बारे में विस्तार से बताया। इसी क्रम में डॉ. जयेंद्र कसार और रोहिताश्व कुमार ने पूरे भारत में एनीमिया के वर्तमान परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए पॉथ द्वारा एएमबी कार्यक्रम मूल्यांकन और लिविंग लैब मूल्यांकन से प्रमुख निष्कर्ष प्रस्तुत किए। इसी क्रम में एनीमिया रोडमैप की व्यवहारिक पैनल चर्चा का संचालन पॉथ के डॉ. सचिन गुप्ते ने किया।
कार्यशाला के दौरान डॉ. वेद प्रकाश, डॉ. संचिता पाटिल, संगीता कर्मकार, डॉ. हरी शंकर जोशी, डॉ. जयेन्द्र कसार, डॉ. गुंजन तनेजा, डॉ. अर्पिता पाल शामिल रहे। जिसमें डॉ.वेद प्रकाश ने सुझाव व्यक्त करते हुए कहा कि 17 साल की अधिक उम्र के स्कूल से पास कर चुके बच्चो पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि वह इस अभियान से वंचित रह जाते है। कार्यशाला में विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि शामिल होकर आईएफए अनुपूरण, गहन आईईसी, एसबीसीसी, निदान, आपूर्ति श्रृंखला, अंतरक्षेत्रीय समन्वय और गैर-पोषण एनीमिया जैसे एएमबी विषयगत क्षेत्रों पर प्रस्तावित रणनीतियों को प्रस्तुत किया।
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