पत्रकारिता और मनोरंजन जगत के अदीप्त सूर्य का निधन

पत्रकारिता और मनोरंजन जगत के अदीप्त सूर्य का निधन

लखनऊ। रामोजी ग्रुप के संस्थापक और रामोजी फिल्म सिटी से संस्थापक रामोजी राव का 87 वर्ष की आयु में शनिवार को निधन हो गया। उन्होंने पत्रकारिता और फिल्‍म जगत में कई अनोखे प्रयोग किये। उनके बनाये मंच के माध्यम से भारत की कई प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर मिला। उनके जाने से आज सूचना और मनोरंजन जगत का समय ठहर सा गया है। पाठकों और दर्शकों की नब्ज वे अच्छी तरह से टटोल लेते थे। उनमें दलित उत्थान के प्रति विशेष लगाव था। तेलुगु समाचार और मनोरंजन नेटवर्क ईटीवी के प्रमुख और रामोजी फिल्म सिटी के संस्थापक रामोजी राव का पूरा नाम चेरूकुरी रामोजी राव है। एक पत्रिका से लेकर मीडिया में डिजिटल क्रांति लाने तक के लिए उन्होंने कई ऐतिहासिक प्रयोग किये। उनका सफर दूसरों के लिए सदैव प्रेरणादायी रहेगा। फिल्मी दुनिया के लिए शूटिंग का केन्‍द्र बनाने वाले रामोजी मूलतः: एक पत्रकार थे।

पत्रकारिता और मनोरंजन जगत में अपनी प्रतिभा का परिचय देने से पहले उन्होंने वर्ष 1962 में अपना व्यवसायिक सफर मार्गदर्शी चिटफंड्स से शुरू किया था। शुरुआती संदेह के बाद भी उनकी प्रतिबद्धता और ईमानदारी ने कंपनी को सफल बनाया। आज पूरे देश में इस चिटफंड की मिसाल दी जाती है। इसके बाद उन्होंने मीडिया की ओर रुख किया।

वर्ष 1969 में उन्होंने मासिक पत्रिका ‘अन्नदाता’ के माध्यम से मीडिया क्षेत्र में अपना पहला कदम रखा था। एक किसान परिवार में जन्म लेने के कारण वे जानते थे कि भारतीयों किसानों को जागरूक करने की बहुत आवश्यकता थी। उन्‍हें नयी तकनीकों से परिचित करने के लिए वे अन्नदाता पत्रिका का संचालन करते थे। 'अन्नदाता' पत्रिका के माध्यम से उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्रों और किसानों के बीच एक सूचना के आदान-प्रदान का स्रोत निर्मित किया था। किसानों को उन्नत खेती के लिए आवश्यक तकनीक और नयी मशीनों की जानकारी देने में काफी हद तक सफल भी रहे। कई किसानों को उनकी इस कृषि पत्रकारिता का लाभ मिला। इसकी मदद से उनकी आय में काफी बढ़त हुई। यह रामोजी की पहली विजय थी।

इसके बाद उन्होंने वर्ष 1974 में मीडिया इंडस्ट्री में कदम रखा। आगे जाकर यही निर्णय उनकी सबसे बड़ी पहचान बन गया। सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला ईनाडु आज भी पाठकों और श्रोताओं में सर्वाधिक लोकप्रिय है। उनकी देखरेख में की जाने वाली पत्रकारिता में जनसरोकारों को प्राथमिकता दी गयी। सरकार के घोटालों को प्रमुखता से निर्भय होकर छापा गया। देखते ही देखते वे कमजोरों की आवाज़ बन गये। साल 1976 की पहली छमाही में ईनाडु की प्रसार संख्या (सर्कुलेशन) 48,339 प्रतियां थीं। आज भी ईनाडु 23 केन्‍द्रों में छपता है। यह आज भी सबसे अधिक प्रसार वाले तेलुगु दैनिक के रूप में प्रकाशित किया जाता है। 

खोजी पत्रकारिता को वे सदैव बढ़ावा देते रहे। वर्ष 1978 में साहित्य प्रेमियों की मॉंग पर उन्‍होंने ‘चतुर’ और ‘विपुला’ नामक मासिक पत्रिकाएं प्रारम्भ कीं। चतुर मासिक के उपन्यास के साथ विपुला में विभिन्न भाषाओं में कहानियों का संग्रह प्रकाशित किया जाता था। रामोजी राव का यह अभिनव प्रयोग चार दशकों तक साहित्य प्रेमी पाठकों की पठन प्यास को संतृप्त करता रहा।

अब वह समय भी आया जब सूचना क्रांति के अंतर्गत दर्शकों को 24 घंटे अनवरत रूप से टीवी न्‍यूज चैनल शुरू करने का कारनामा उन्होंने अंजाम दिया। 27 अगस्त 1995 को तेलुगु में पहले 24 घंटे के चैनल के रूप में शुरू हुआ। उनका यह प्रयोग तो काफी कुछ बदल देने वाला था। कई पत्रकारों को इसके माध्यम से स्वयं का विस्तार करने का अवसर मिला। मीडिया इंडस्ट्री में तो एक समय यह कहा जाने लगा था कि टीवी पत्रकारिता की पाठशाला है ईटीवी न्‍यूज चैनल। वहीं, ईटीवी तेलुगु टीवी को भी लोगों ने काफी पसंद किया।

दूरदर्शी विचारों के धनी रामोजी राव ने वर्ष 1999 में ही इंटरनेट क्रांति का महत्व समझ लिया था। यही कारण है कि जब बड़े मीडिया हाउसेस इंटरनेट पर मंथन कर रहे थे तभी उन्होंने अपने प्रकाशनों को वेबसाइट के माध्‍यम से परोसना शुरू कर दिया था। eenadu.net वेबसाइट को पाठकों ने भी बहुत सराहा। इसके अतिरिक्त वे एक अंग्रेजी दैनिक भी दो दशकों तक प्रकाशित करते रहे।

प्रतिभाओं को नया मंच देने में इस चैनल ने काफी काम किया। अगस्त 2001 में ईटीवी ने उर्दू में प्रसारण शुरू किया। जनवरी 2002 में रामोजी राव ने एक ही दिन में छह चैनल शुरू करके मीडिया इतिहास में कीर्तिमान रच दिया। आज ईटीवी एक बड़ा नेटवर्क बन गया है जो क्षेत्रीय भाषा के चैनलों के साथ लोगों तक पहुंचता है। देखते ही देखते देश में बोली जाने वाली 13 भाषाओं में उसका प्रसारण आरम्भ हो गया। बड़ों के साथ ही वे बच्चों के मनोरंजन की आवश्यकता को भी समझते थे। ईटीवी बाल भारत के माध्‍यम से उन्होंने चार से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए दर्शनीय प्रोग्राम बनवाये। 12 भाषाओं में कार्टून प्रोग्राम प्रस्तुत किये जाते हैं।

रामोजी राव ने मनोरंजन जगत में भी कई क्रांतिकारी काम किये। फिल्म शूटिंग के लिए सर्वाधिक उपयुक्त रामोजी फिल्म सिटी की स्थापना करके उन्होंने फिल्म उद्योग को बल दिया। उन्होंने फिल्मों में व्याप्त अश्लीलता से दूर रहते हुए गुणवत्तापूर्ण , मनोरंजक और ज्ञानवर्धक फिल्में बनाने पर जोर दिया। उषा किरण मूवीज की स्थापना करके उन्होंने कल्पना पर आधारित फिल्‍मी कहानियों के स्थान पर समाज में व्याप्त समस्याओं पर आधारित कहानियों पर फिल्में बनाने की प्रेरणा दी। वे अपनी अंतिम सांस तक इस निर्णय पर प्रतिबद्ध रहे कि मनोरंजन के साथ ही सूचना की क्रांति का भी विशेष महत्व है। कन्नड़, तमिल, मराठी और अंग्रेजी भाषाओं में 85 फिल्में बनाकर रामोजी राव ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। तेलुगू सिनेमा के दर्शकों को अच्छी फिल्में उपलब्ध कराने के लिए 2 मार्च 1983 को उषा किरण मूवीज की स्थापना की गई थी। वहीं, उनकी बनायी फिल्म सिटी में आज लगभग 25 हजार से अधिक लोग काम कर रहे हैं। साथ ही, करीब एक लाख लोगों को इसका अप्रत्यक्ष लाभ भी मिल रहा है। आंकड़ों का यह दावा ईनाडु ग्रुप का है।

रामोजी फिल्म सिटी के सपने ने हैदराबाद को वैश्विक फिल्म निर्माण केंद्र में बदल दिया। इतना ही नहीं यह पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र भी बन गया। तेलुगु भाषा को संरक्षित करने के लिए काफी काम किया। उन्हें पद्म विभूषण सहित कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं जो उनकी सफलता का वर्णन करते हैं।

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