उस्ताद राशिद हुसैन ने दुनिया को कहा अलविदा
बदायूं। बदायूं का नाम पूरे विश्व में रौशन करने वाले संगीतकार और गीतकार राशिद खान को संगीत प्रेमियों ने उन्हें नम आंखों से अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। बदायूं छोटे सरकार के कब्रिस्तान में उन्हे सुपुर्द ए खाक किया गया।
बताते चलें कि सहसवान रामपुर घराने के शास्त्रीय गायक बदायूं के मूल निवासी उस्ताद राशिद हुसैन खां का मंगलवार को कोलकाता में निधन हो गया था। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की खबर सुनकर संगीत प्रेमियों को झटका लगा है। उस्ताद राशिद हुसैन लगभग चालीस वर्ष पहले कोलकता में जाकर बस गए थे। उस्ताद राशिद हुसैन दस साल की उम्र में ही बदायूं से उस्ताद निसार हुसैन खां के साथ कोलकाता चले गए थे, वहीं आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी में संगीत की तालीम ली। राशिद खां की गिनती देश के प्रमुख गायकों के रूप में की जाती थी। उन्हें 2006 में पद्मश्री तो 2022 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
राशिद खान एकेडमी की डीन डॉक्टर कविता गुप्ता ने बताया कि उस्ताद राशिद हुसैन ने कई हिंदी और बांग्ला फिल्मों के लिए गीत गाए। उन्होंने बॉलीवुड की कई फिल्मों में गाने गाए। उनके प्रसिद्ध गानों में करीना कपूर और शाहिद कपूर की फिल्म जब वी मेट का आओगे जब तुम ओ साजना काफी लोकप्रिय हुआ। इसके अलावा उन्होंने विवेक ओबराय अभिनीत फिल्म किसना : द वॉरियर पोएट के गाने काहे उजाड़ी मोरी नींद और शाहरुख खान की फिल्म माई नेम इज खान का अल्लाह ही रहम गीत भी गाया था। इसके अलावा करीब एक दर्जन बांग्ला फिल्मों में भी उन्होंने गीत गाए। उस्ताद राशिद खां ने अपने चाचा ग्वालियर घराने के उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान से भी प्रशिक्षण लिया था। पद्मश्री और पद्मभूषण के अलावा उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड और फिल्म फेयर पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। शायर ताहिर फराज रामपुरी ने कहा कि राशिद खान का जाना हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया के संगीत को उनके जाने से जो क्षति पहुंची है उसे पूरा नहीं किया जा सकता। आज संगीत के एक युग का अंत हो गया है। उनके निधन से सहसवान रामपुर घराने को भी बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। वह हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे।
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