पहाड़ी में छिपा मिला 27 हजार साल पुराना पिरामिड! खुदाई में दिलचस्प खुलासे
By Tarunmitra
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जकार्ता: इंडोनेशिया में दुनिया का सबसे पुराना पिरामिड मिलने का दावा खोजकर्ताओं ने किया है। पश्चिम जावा में ये जगह मिली है, जिसका इतिहास हजारों वर्ष पुराना माना जा रहा है। इस पिरामिड को स्थानीय लोग गुनुंग पडंग यानी ज्ञान का पहाड़ कहते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह पहाड़ नहीं बल्कि एक पिरामिड है और ये गीजा के पिरामिड और स्टोनहेंज से भी पुराना हो सकता है। ऐसे में यह खोज मानव सभ्यता के विकास के बारे में इंसानी समझ को चुनौती देगी। एक्सपर्ट का कहना है कि आने वाले दिनों में इस जगह से जुड़े नए खुलासे हो सकते हैं।
इंडोनेशिया में पश्चिमी जावा की पहाड़ियों के नीचे ये पिरामिड मिला है। इस रहस्यमयी ढांचे को एक्सपर्ट धरती का सबसे पुराना पिरामिड मान रहे हैं। ये दावा सही साबित होता है तो फिर इसका निर्माण गीजा के महान पिरामिड और स्टोनहेंज से भी पहले का होगा। ऐसे में ये वास्तुकला के इतिहास को और ज्यादा पीछे ले जाएगा। कार्बन डेटिंग से पता चलता है कि इसका निर्माण 27,000 साल पहले अंतिम हिमयुग में शुरू हुआ और इसे कई चरणों में बनाया गया।
खुदाई में दिलचस्प खुलासे
इस जगह की शोधकर्ता जैसे-जैसे खुदाई आगे बढ़ा रहे हैं, उन्हें एक विशाल ढांचे के सबूत मिल रहे हैं। यह जगह प्राचीन बिल्डरों की कुशलता का प्रमाण है, जिन्होंने कृषि या ज्ञात सभ्यताओं के आने से बहुत पहले उन्नत वास्तुशिल्प का निर्माण किया था। इसका निर्माण प्रागैतिहासिक मानव की तकनीकी क्षमताओं और सामाजिक संगठन के बारे में गंभीर प्रश्न उठाता है।
गुनुंग पडंग का स्थानीय लोगों के बीच लंबे समय से सांस्कृतिक महत्व रहा है, जो इसे 'पुंडेन बेरुंडक' यानी सीढ़ीदार पिरामिड के रूप में मान्यता देते हैं। इसके शिखर तक जाने वाली छतें एक खास डिजाइन की बनी हैं, जो काफी ज्यादा जटिल है। इस संरचना का असली आकार मिट्टी और वनस्पति की परतों के नीचे छिपा हुआ था, जिससे इस पर एक्सपर्ट की नजर नहीं गई।
सरंचना को पहाड़ी समझ रहे थे लोग
इंडोनेशियाई वैज्ञानिकों की एक टीम ने हाल ही में पाया कि गुनुंग पडंग साधारण प्राकृतिक पहाड़ी नहीं बल्कि प्राचीन समय में बना पिरामिड हो सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस संरचना का निर्माण एक विलुप्त ज्वालामुखी के कठोर लावा प्रवाह का उपयोग करके किया गया, जिसे एक स्थिर आधार बनाने के लिए जटिल रूप से बदला गया होगा।
गुनुंग पडंग के भूकंपीय अध्ययनों से पता चला है कि इसके भीतर बड़ी छिपी हुई सुरंग और कक्ष हो सकते हैं। इनमें से कुछ 15 मीटर तक लंबी हैं और इनकी छत 10 मीटर की ऊंचाई पर है। शोध दल इन छिपे हुए स्थानों का पता लगाने पर काम कर रहा है। वे इन क्षेत्रों में ड्रिल करने की योजना बना रहे हैं ताकि पता किया जा सके कि यहां हजारों वर्षों से क्या छिपा है।
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‘तरुणमित्र’ श्रम ही आधार, सिर्फ खबरों से सरोकार। के तर्ज पर प्रकाशित होने वाला ऐसा समचाार पत्र है जो वर्ष 1978 में पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जैसे सुविधाविहीन शहर से स्व0 समूह सम्पादक कैलाशनाथ के श्रम के बदौलत प्रकाशित होकर आज पांच प्रदेश (उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तराखण्ड) तक अपनी पहुंच बना चुका है।
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