मॉडर्न टेक्नोलॉजी से आरपीएफ को मिलेंगे बेहतर परिणाम: मनोज
डीजी आरपीएफ ने एनआर-एनईआर लखनऊ मंडल टीम संग की समीक्षा बैठक
- यात्रियों की सुरक्षा व रेल संरक्षा पर किया मंथन, महाकुंभ आयोजन की प्रशंसा की
लखनऊ। महानिदेशक रेलवे सुरक्षा बल रेलवे बोर्ड नई दिल्ली मनोज यादव (भारतीय पुलिस सेवा) ने सोमवार को पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मण्डल के डीआरएम कार्यालय सभागार में पूर्वोत्तर रेलवे के महानिरीक्षक सह प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त/रेलवे सुरक्षा बल तारिक अहमद, जगजीवन राम आरपीएफ एकेडमी के उपमहानिरीक्षक सह निदेशक वेंकटेश्वर राव, उत्तर रेलवे के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त पंकज गंगवार और मण्डल रेल प्रबन्धक गौरव अग्रवाल, अपर मंडल रेल प्रबंधक/परिचालन विक्रम कुमार, अपर मंडल रेल प्रबंधक/इंफ्रा भुवनेश सिंह की उपस्थिति में पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर रेलवे लखनऊ मण्डलों के रेलवे सुरक्षा बल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।
रेलवे सुरक्षा बल सदस्यों के साथ सुरक्षा सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए यात्री और रेल सम्पत्ति से संबंधित अपराधों और उनकी रोकथाम तथा यात्रियों की सुरक्षा और रेल संरक्षा के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा की। उन्होंने प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ 2025 में सभी तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षित, कुशल व सुखद यात्रा की सुरक्षा के लिए रेलवे सुरक्षा बल और उनके साथ कार्य कर रहे विभिन्न विभागों के रेलकर्मियों के मध्य निर्बाध समन्वय की भी सराहना की। डीजी आरपीएफ ने कहा कि इस दौरान कुल 17,152 ट्रेनों का संचालन हुआ जिसमेंं 7,667 विशेष ट्रेनें और 9,485 नियमित ट्रेनें शामिल थीं, जिससे श्रद्धालु सुचारू रूप से कुशल यात्रा कर सकें।
यात्रियों की सहायता में लगे फ्रंटलाइन कर्मयोगियों से लेकर सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले आरपीएफ, जीआरपी और पुलिस कर्मियों, निर्बाध ट्रेन संचालन को बनाए रखने वाले इंजीनियरों से लेकर सफाई कर्मियों, चिकित्सा सहायता प्रदान करने वाले डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ से लेकर यात्रा को सुविधाजनक बनाने वाले हेल्प डेस्क अधिकारियों तथा बुकिंग कर्मचारियों तक सभी की प्रशंसा की।
निर्बाध चौबीसों घंटे कार्य सुनिश्चित करने के लिए टीटीई, लोको पायलट, सहायक लोको पायलट, सिग्नल और दूरसंचार, टीआरडी और इलेक्ट्रिकल, स्टेशन मास्टर, ट्रैकमैन आदि रेल कर्मियों का आभार जताया। आगे कहा कि रेलवे सुरक्षा बल द्वारा आधुनिक प्रौद्योगिकी के अधिक व कुशल उपयोग से न केवल जनशक्ति की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी, बल्कि बेहतर परिणाम सामने आएंगे जिससे सकारात्मक छवि का निर्माण होगा।
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