इंसान के शव का मांस भूनकर खाने वाले को उम्रकैद

इंसानी खोपड़ी का सूप बनाकर पीता था दरिंदा

इंसान के शव का मांस भूनकर खाने वाले को उम्रकैद

लखनऊ। राजधानी की एडीजे कोर्ट ने सीरियल किलर राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज को शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने दोनों पर ढाई-ढाई लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। 25 साल पहले हुए डबल मर्डर में जज रोहित सिंह ने यह फैसला सुनाया है। इस मामले में कोलंदर और वक्षराज को चार दिन पहले 19 मई को कोर्ट ने दोषी करार दिया था। राजा कोलंदर और वक्षराज को इससे पहले प्रयागराज में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में 2012 में इलाहाबाद कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोलंदर और वक्षराज को दूसरी बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

जानकारी के मुताबिक़ घटना वर्ष 2000 की है,राजा कोलंदर प्रयागराज नैनी के शंकरगढ़ स्थित हिनौता गांव का रहने वाला है। मनोज कुमार सिंह के पिता शिव हर्ष ने इसकी एफआईआर दर्ज कराई थी। मनोज रायबरेली के हरचंदपुर के रहने वाले थे। मुकदमे में बताया गया कि उनका बेटा मनोज कुमार सिंह और ड्राइवर रवि श्रीवास्तव 24 जनवरी 2000 को लखनऊ से रीवा के लिए निकले थे। मनोज और रवि ने लखनऊ में चारबाग रेलवे स्टेशन के पास से यात्रियों को बैठाया। इसमें एक महिला भी थी। आखिरी बार उनकी लोकेशन रायबरेली में चाय की दुकान पर मिली थी। इसके बाद वह लापता हो गए। इसके बाद 3 दिन तक उनका कोई अता-पता नहीं चल पाया। इसके बाद नाका हिंडोला थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।

नाका पुलिस ने मनोज और रवि की तलाश शुरू की। लखनऊ से रीवा तक के रास्ते को खंगाला, लेकिन कुछ भी पता नहीं चल पाया। बाद में दोनों के क्षत-विक्षत शव प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों से बरामद किए गए। दोनों के शव नग्न थे। पुलिस जांच करते हुए राजा कोलंदर तक पहुंची। 2000 के इस दोहरे हत्याकांड में पुलिस ने मार्च 2001 को चार्जशीट दाखिल की। लेकिन, कुछ कानूनी वजह से मुकदमे की सुनवाई 2013 में शुरू हो पाई। हत्याकांड की जांच के दौरान पता चला कि मनोज सिंह और रवि श्रीवास्तव टाटा सूमो की सर्विस करवाने लखनऊ गए थे। लखनऊ से  रायबरेली लौटते समय चारबाग के पास राजा कोलंदर, अपनी पत्नी फूलन देवी और उसके साले बच्छराज के साथ मौजूद था। उसने गाड़ी रुकवाई। राजा कोलंदर का कहना था कि उसकी पत्नी की तबीयत खराब है। और गाड़ी से इलाहाबाद छोड़ने की बात कही। 1500 रुपए में सौदा तय हुआ। सभी इलाहाबाद के लिए चल दिए। 

परिजनों ने बताया कि रास्ते में रायबरेली में हरचंदपुर में मनोज रुके। कुछ कपड़े रखे। फिर प्रयागराज के लिए चल दिए। कई दिन तक दोनों वापस नहीं लौटे तो तलाश शुरू की। बाद में उनके क्षत-विपक्ष शव शंकरगढ़ के जंगल में मिले। पुलिस के मुताबिक, मनोज सिंह की हत्या में राजा कोलंदर का नाम तब खुला जब राजा कोलंदर ने इलाहाबाद में एक पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या कर दी। जब पुलिस ने पत्रकार की हत्या के मामले की जांच शुरू की तो राजा कोलंदर के फॉर्म हाउस में कई लोगों के कटे हुए सिर मिले। वहीं पर पुलिस को मनोज सिंह का कोट मिला, जिस पर रायबरेली के टेलर का नाम लिखा था। यहां से मनोज सिंह और रवि की हत्या में राजा कोलंदर का नाम सामने आया था। 

प्रयागराज के पत्रकार धीरेंद्र सिंह का 14 दिसंबर 2000 को शव मिला। इस हत्याकांड की जांच करते हुए पुलिस राजा कोलंदर तक पहुंची। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। सख्ती से पूछताछ की, तो उसने जुर्म कबूल कर लिया। राजा कोलंदर ने पुलिस को बताया कि एक मामले में पत्रकार धीरेंद्र के भाई ने राजा कोलंदर को नामजद करते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। तभी उसने तय कर लिया था कि धीरेंद्र सिंह की हत्या करनी है। राज कोलंदर ने बताया था कि धीरेंद्र सिंह को प्रयागराज स्थित अपने पिपरी फार्म हाउस पर बुलाया। सर्दी थी, इसलिए अलाव जला रखा था। धीरेंद्र सिंह बाइक से पहुंचे। इसी दौरान राजा कोलंदर के साले वक्षराज ने गोली मार दी। मौके पर ही धीरेंद्र सिंह ने दम तोड़ दिया। राजा कोलंदर और उसका साला वक्षराज दोनों धीरेंद्र के शव को टाटा सूमो से लेकर मध्यप्रदेश की सीमा में पहुंचे। पहले धीरेंद्र का सिर और लिंग काट दिया। लिंग और धड़ को वहीं खेत में दफना दिया। जबकि, उसका सिर एक पन्नी में लपेटकर रीवा के बाणसागर तालाब में फेंक दिया। 

मर्डर केस की जांच के दौरान पुलिस को राजा कोलंदर के घर से तलाशी में डायरी मिली। इस डायरी ने 14 हत्याओं का राज खोल दिया। पुलिस ने जब राजा कोलंदर की डायरी के पन्ने पलटने शुरू किए तो सन्न रह गए। पुलिस ने डायरी के आधार पर उससे पूछताछ की तो पूरी कहानी सामने आ गई। उसके फॉर्म हाउस से अशोक कुमार, मुइन, संतोष और काली प्रसाद के नरमुंड बरामद हुए, इसकी हत्या का जिक्र डायरी में था। पूछताछ में पता चला कि राजा कोलंदर ने कुल 14 लोगों का कत्ल किया था। वह जरा-जरा सी बात पर लोगों का खून कर देता था। मनोज सिंह और रवि श्रीवास्तव के हत्या का भी खुलासा हुआ। 

इलाहाबाद कोर्ट ने 1 दिसंबर, 2012 को रामनिरंजन उर्फ राजा कोलंदर को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने उसे पत्रकार धीरेंद्र सिंह समेत कई लोगों की हत्या का दोषी करार देते हुए इसे रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर केस माना था। उसके खिलाफ यह केस करीब 12 साल तक चला। तब से कोलंदर उन्नाव जेल में बंद है। राजा कोलंदर आर्डिनेंस फैक्ट्री में काम करता था। कर्मचारी होने के बावजूद वह खुद को राजा ही समझता था। सजा सुनाए जाने से कुछ घंटे पहले अदालत में लाए जाने तक वह खुद को बेगुनाह बताता रहा। उसका कहना था कि उसे सियासी रंजिश की वजह से फंसाया गया है। हालांकि, तमाम पत्रकारों और गांव वालों की मौजूदगी में की गई छापेमारी में फार्म हाउस से 14 नर मुंड बरामद होने की बात पर वह कोई जवाब नहीं दे सका। राजा कोलंदर प्रयागराज के शंकरगढ़ का निवासी है। उसका असली नाम राम निरंजन कोल है। वह नैनी स्थित केंद्रीय आयुध भंडार छिवकी में कर्मी था। उसकी पत्नी फूलन देवी जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थी। कर्मचारी होने के बावजूद वह खुद को राजा समझता था। उसका कहना था कि जो आदमी उसे पसंद नहीं उसे वह अपनी अदालत में सजा जरूर देता है। अजीब सोच के कारण कोलंदर ने अपनी पत्नी का नाम फूलन देवी और दोनों बेटों के नाम अदालत और जमानत रखे थे। उसकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य रह चुकी है। इस नरपिशाच की हैवानियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसने आर्डिनेंस फैक्ट्री के साथी कर्मचारी काली प्रसाद श्रीवास्तव को इसलिए मौत के घाट उतारा था, क्योंकि वह कायस्थ बिरादरी का था। उसका मानना था कि कायस्थ लोगों का दिमाग काफी तेजी से काम करता है। वह कई दिनों तक उसकी खोपड़ी के हिस्से को भूनकर खाता रहा। उसके दिमाग को उबालकर सूप बनाकर पीता था।

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