होम्योपैथी मानवता के लिये वरदान- डा. वी.के. वर्मा
बस्ती - होम्योपैथी के जन्मदाता सैमुएल हैनिमैन को उनकी पुण्य तिथि पर याद किया गया। बुधवार को रिसर्च सोसायटी ऑफ होम्योपैथी इण्डिया के मण्डल अध्यक्ष डा. वी.के. वर्मा, जिलाध्यक्ष डा. शैलेन्द्र कुमार तिवारी आदि ने जिला चिकित्सालय स्थित डा. हैनिमैन की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद उनके योगदान पर प्रकाश डाला।
वरिष्ठ होम्योपैथ चिकित्सक डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि डा. हैनिमैन ने नई दवाओं की खोज और इस पद्धति का उपयोग करके इलाज करने के तरीके की व्यवस्थित जांच में बिताया। उन्होंने 1796 में होम्योपैथी नामक पद्धति पर अपना पहला शोधपत्र प्रकाशित किया। हैनीमैन के समय में कई महामारियाँ फैलीं, खास तौर पर बच्चों में। उन्हें पता था कि एट्रोपा बेलाडोना पौधे के जहरीले लक्षण स्कार्लेट ज्वर के लक्षणों जैसे ही होते हैं। इसलिए, उन्होंने उन परिवारों को बेलाडोना दिया जिनमें स्कार्लेट ज्वर था। उन्होंने इसे अप्रभावित बच्चों को रोकथाम के तौर पर भी दिया। डा. वर्मा ने कहा कि होम्योपैथी अब भारत सहित पूरी दुनियां में मरीजों के साथ ही असाध्य रोगों का भी कारगर उपचार कर रही है। उनका योगदान सदैव याद किया जायेगा। कहा कि हृदय रोग, पथरी, डेगू, चिकनगुनिया आदि रोगांें में होम्योपैथी कारगर सिद्ध हो रही है। उनका योगदान युगों तक याद किया जायेगा।
रिसर्च सोसायटी ऑफ होम्योपैथी इण्डिया के जिलाध्यक्ष डा. शैलेन्द्र कुमार तिवारी ने कहा कि प्रेक्टिस करने के दौरान सैमुएल हैनिमैन को उस समय की चिकित्सा प्रणाली ठीक नहीं लगी क्योंकि उस समय आधुनिक तरह-तरह से चिकित्सा करने की प्रणालियों की कमी थी जिस वजह से उन्होंने अपनी प्रेक्टिस को बीच में ही छोड़ दिया और होम्योपैथी चिकित्सा का वरदान समूचे विश्व को दिया। समूची मानवता इस योगदान के लिये उनका ऋणी है।
पुण्य तिथि पर सैमुएल हैनिमैन को नमन करने वालों में मुख्य रूप से डा. एन.के. सिंह गौतम, डा. वीरेन्द्र तिवारी, टाइगर शक्ति सिंह, डा. डी.के. गुप्ता, डा. हनुमान शुक्ला, डा. एच.एन. चौधरी, डा. सन्तोष दूबे, डा. अनिल मिश्र, डा. कमलेश, डा. राजेश चौधरी, डा. संजय कुमार, डा. मुनिदेव आदि शामिल रहे।
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